Crime In Bihar: बिहार में 100 करोड़ से ज्यादा का बैंक घोटाला, RBI के एक्शन के बाद अब ED कर रही है छापेमारी ,RJD नेता और पुर्व मंत्री आलोक मेहता के परिवार से जुड़ा है बैंक
बिहार में एक बड़ा बैंक घोटाला सामने आया था। RBI से रजिस्टर्ड एक कोऑपरेटिव बैंक में करीब 100 करोड़ का घोटाला हो गया था। हजारो निवेशकों की जमापूंजी करीब 100 करोड़ की रकम का फर्जी का लोन के सहारे गायब कर दिया गया
Crime In Bihar: आरबीआई से पंजीकृत एक सहकारी बैंक में लगभग 100 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। हजारों निवेशकों की जमा पूंजी इस राशि के फर्जी ऋण के माध्यम से गायब कर दी गई है। इस घोटाले में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि बिहार सरकार के एक पूर्व मंत्री और लालू परिवार के निकट संबंधी एक आरजेडी नेता के परिवार की संलिप्तता सामने आई है। हम वैशाली जिले के वैशाली शहरी विकास सहकारी बैंक में हुए इस 100 करोड़ रुपये के घोटाले की चर्चा कर रहे हैं।
इस बैंक ने लगभग 35 वर्षों से बैंकिंग क्षेत्र में कार्य किया है, लेकिन जून 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इसके संचालन पर रोक लगा दी। प्रारंभिक जांच में बैंक पर लगभग 5 करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगाया गया था। हालांकि, जब जांच आगे बढ़ी, तो घोटाले की राशि 100 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
जांच में यह सामने आया कि लिच्छवी कोल्ड स्टोरेज प्राइवेट लिमिटेड और महुआ कोऑपरेटिव कोल्ड स्टोरेज नामक दो कंपनियों ने बैंक से लगभग 60 करोड़ रुपये का गबन किया है। इन कंपनियों ने अपनी गारंटी पर करोड़ों रुपये का ऋण निकाला था। फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से किसानों के नाम पर दिए गए इस ऋण को बैंक ने नियमों की अनदेखी करते हुए जारी किया।
इस बात का खुलासा हुआ है कि इस सहकारी बैंक के प्रबंधन ने फर्जी LIC बांड और नकली पहचान पत्रों के माध्यम से 30 करोड़ रुपये से अधिक की राशि की निकासी कर ली है। इस पूरे घोटाले में बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और लालू परिवार के करीबी एक RJD नेता के परिवार की भूमिका संदिग्ध प्रतीत हो रही है। घोटाले का आरोप पूर्व भू स्वामित्व मंत्री आलोक मेहता पर भी लगाया जा रहा है। इस सहकारी बैंक और फर्जी ऋण की निकासी करने वाली कंपनियों के बीच मंत्री परिवार का सीधा संबंध सामने आया है, जिसके बाद बैंक के फर्जीवाड़े के शिकार खाताधारकों ने आलोक मेहता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आरोप है कि लगभग 100 करोड़ रुपये के इस घोटाले की योजना कई साल पहले बनाई गई थी, और इसकी शुरुआत मंत्री आलोक मेहता के बैंक के अध्यक्ष रहते हुई थी। बैंक का प्रबंधन हमेशा से मंत्री परिवार के नियंत्रण में रहा है।
मंत्री जी पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने घोटाले के आरोपों से बचने के लिए कुछ समय पहले खुद को बैंक के प्रबंधन और संबंधित कंपनियों से अलग कर लिया था। हालांकि, आज भी बैंक और इन कंपनियों का संचालन मंत्री जी के रिश्तेदारों द्वारा किया जा रहा है, जिससे घोटाले के उजागर होने के बाद मंत्री आलोक मेहता पर सवाल उठने लगे हैं। इस बैंक के फर्जीवाड़े का शिकार हुए लोग अब हंगामा कर रहे हैं। जिन खाताधारकों ने अपनी जीवनभर की जमापूंजी खोई है, उन्होंने जब वर्तमान चेयरमैन और मंत्री जी के भतीजे संजीव को घेरा, तो उन्होंने इस पूरे घोटाले का काला चिट्ठा खोलते हुए मंत्री जी की संलिप्तता का खुलासा किया। जब यह मामला सामने आया, उस समय आलोक मेहता बिहार सरकार में मंत्री थे और लालू परिवार के करीबी RJD नेता के रूप में उनकी राजनीतिक पकड़ काफी मजबूत थी। पूर्व मंत्री आलोक मेहता के पिता भी बिहार में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं।
रिपोर्ट- ऋषभ कुमार