Bihar Politics: PM मोदी के बिहार दौरे से पहले BJP को लगा बड़ा झटका! इस नेता को हुई 2 साल की जेल, जानें पूरा मामला
Bihar Politics:बीजेपी विधायक मिश्री लाल यादव को दरभंगा की एमपी-एमएलए कोर्ट ने दो साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना सुनाया। जानें क्या उनकी विधानसभा सदस्यता खतरे में है।
Bihar Politics: आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 और 30 मई को बिहार दौरे पर आने वाले हैं। उससे पहले ही राज्य में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। बता दें कि बीजेपी विधायक मिश्री लाल यादव को बिहार के दरभंगा जिले की सांसद-विधायक कोर्ट (MP-MLA कोर्ट) ने मंगलवार को दो साल की सजा सुनाई है। इसके अलाव 1 लाख का जुर्माना भी ठोका है। न्यायाधीश ADJ-3 सुमन कुमार दिवाकर ने फैसले में कहा गया कि गवाहों और सबूतों के आधार पर मिश्री लाल यादव को दोषी करार दिया गया।
यह पहली बार नहीं है कि विधायक को सजा मिली है। इससे पहले मारपीट के एक मामले (IPC 323) में फरवरी 2025 में उन्हें 3 महीने की सजा और ₹500 जुर्माना सुनाया गया था। यह सजा 23 मार्च से प्रभावी मानी गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उन पर लगातार दो आपराधिक मामलों में न्यायिक सजा हो चुकी है।
विधायक का पक्ष: हाईकोर्ट में अपील करेंगे
फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए मिश्री लाल यादव ने कहा,“मैं अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं। मैं पटना हाईकोर्ट में अपील करूंगा और मुझे पूरी उम्मीद है कि मुझे न्याय मिलेगा।”उन्होंने अपने बयान में यह स्पष्ट किया कि वे उच्च न्यायालय में कानूनी विकल्प अपनाएंगे, जिससे सदस्यता पर तत्काल प्रभाव की संभावना स्थगित हो सकती है।
क्या विधायक की विधानसभा सदस्यता खत्म हो सकती है?
संविधान और जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8(3) के अनुसार, यदि किसी सांसद या विधायक को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है। अगर विधायक उच्च न्यायालय से राहत या स्थगन आदेश प्राप्त कर लेते हैं तो सदस्यता अस्थायी रूप से बनी रह सकती है, जब तक अंतिम फैसला न हो जाए। पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों (लिलि थॉमस बनाम भारत संघ, 2013) में यह स्पष्ट किया गया है कि सजा के साथ-साथ सदस्यता स्वत: समाप्त मानी जाएगी, जब तक उच्च न्यायालय से राहत न मिले।
राजनीतिक हलचल और बीजेपी की रणनीति
इस फैसले के बाद बीजेपी की छवि पर असर पड़ सकता है, खासकर जब अपराध से जुड़े नेताओं पर पार्टी की स्थिति पर सवाल उठते हैं। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस फैसले से आगामी चुनावों में विपक्ष को मुद्दा मिल सकता है। विधायक की स्थिति अब कानूनी लड़ाई और पार्टी रणनीति दोनों पर निर्भर करेगी।