Bihar Election Results 2025 : दरभंगा में राजद का छह बार का किला ध्वस्त, ललित यादव हार की कगार पर, जदयू प्रत्याशी ने इतने मतों से पछाड़ा
DARBHANGA : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना के दौरान, दरभंगा जिले की ग्रामीण सीट से एक बड़ा और अप्रत्याशित उलटफेर सामने आया है। इस सीट को दशकों से राजद (राष्ट्रीय जनता दल) का अभेद्य गढ़ माना जाता रहा था, जिसे अब ध्वस्त होते हुए देखा जा रहा है। 15वें राउंड की मतगणना पूरी होने तक, राजद के दिग्गज नेता ललित यादव हार की कगार पर पहुंच गए हैं, जिससे पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
जदयू प्रत्याशी ईश्वर मंडल ने बनाई बड़ी बढ़त
रुझानों के अनुसार, एनडीए के जदयू प्रत्याशी राजेश उर्फ ईश्वर मंडल ने राजद के ललित यादव पर एक निर्णायक बढ़त बना ली है। 15 राउंड की गिनती पूरी होने तक, ईश्वर मंडल अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से 7,340 मतों के बड़े अंतर से आगे चल रहे थे। यह बढ़त संकेत देती है कि दरभंगा ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने इस बार एक बड़ा बदलाव चुना है, जिससे राजद का वर्षों पुराना प्रभुत्व समाप्त होने की ओर है।
ललित यादव का छह बार का वर्चस्व खतरे में
ललित यादव इस सीट पर राजद के स्थापित चेहरा रहे हैं और वह लगातार छह बार से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे थे। उनका निर्वाचन इस क्षेत्र के राजनीतिक परिदृश्य का एक स्थिर हिस्सा रहा है। ललित यादव का पिछड़ना राजद के लिए न केवल एक सीट का नुकसान है, बल्कि यह पार्टी के उन मजबूत गढ़ों में से एक के ढहने का प्रतीक भी है, जिन पर राजद हमेशा से भरोसा करती आई है।
महागठबंधन के लिए बड़ा झटका, एनडीए उत्साहित
दरभंगा ग्रामीण जैसी मजबूत सीट पर राजद के वरिष्ठ नेता का पिछड़ना महागठबंधन के लिए एक गंभीर झटका है, जो पहले से ही राज्यभर में पिछड़ता हुआ नजर आ रहा है। वहीं, एनडीए विशेषकर जदयू, इस सफलता से अत्यधिक उत्साहित है। यह जीत एनडीए की रणनीति और जमीनी स्तर पर मतदाताओं के बीच पहुंच को दर्शाती है, जिससे उन्हें राजद के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले क्षेत्रों में भी सेंध लगाने में मदद मिली है।
बिहार में सत्ता परिवर्तन की लहर
केसरिया सीट पर जदयू की पहली जीत और अब दरभंगा ग्रामीण जैसे गढ़ में राजद की संभावित हार, यह साफ संकेत देती है कि बिहार में एक मजबूत सत्ता-विरोधी लहर (एंटी-इनकम्बेंसी) नहीं बल्कि सत्ता-समर्थक लहर (प्रो-इनकम्बेंसी) काम कर रही है। राज्य के रुझानों में एनडीए के बहुमत की ओर बढ़ने के साथ ही, ललित यादव की संभावित हार यह स्थापित करती है कि यह चुनाव केवल सीटों का नहीं, बल्कि बिहार के दशकों पुराने राजनीतिक समीकरणों को बदलने वाला साबित हो रहा है।