Bihar Crime: जिंदा मां को कागज़ों पर मार दिया, कलयुगी बेटे की हार्टलेस हेरा-फेरी से गया में हड़कम्प
Bihar Crime: एक मां, जो सांस ले रही है, ज़िंदा है, बोल रही है… लेकिन सरकारी काग़ज़ों में उसे मार दिया गया।
GAYA : गया जी से निकली यह ख़बर इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली है, एक मां, जो सांस ले रही है, ज़िंदा है, बोल रही है… लेकिन सरकारी काग़ज़ों में उसे मार दिया गया। और यह सब किसी पराए ने नहीं, बल्कि उसके ही ख़ून उसके बड़े बेटे ने किया।
गोसाई बाग मोहल्ले की मीना देवी आज भी सदमे में हैं। उनकी आवाज़ कांपती है लेकिन शब्दों में तल्ख़ी साफ़ झलकती है कि अभी मैं जिंदा हूँ… लेकिन मेरे बेटे ने मुझे जीते-जी मार दिया। सिर्फ़ मेरी संपत्ति हड़पने के लिए।
धन के नशे, लालच की आग और विरासत की हवस में अंधे हो चुके बेटे दिलीप प्रसाद ने अपनी जिंदा मां का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया, फिर उसी काग़ज़ के दम पर उनके नाम की संपत्ति अपने नाम करा ली। नगर निगम और अंचल कार्यालय ने कैसे इस 'जिंदा मौत' के कागज पर मुहर लगाई, यह अपने आप में बड़ा सवाल है और बात-बात पर वेरिफिकेशन–इंस्पेक्शन करने वाले सिस्टम की पोल खोलता है। मीना देवी बताती हैं कि जब वे छोटे बेटे धर्मेंद्र के साथ रांची में थीं, उसी समय बड़े बेटे ने मौका देखकर खुद को इकलौता पुत्र बताकर पूरा खेल खेल दिया। आज हाल ये है कि वह और उसकी पत्नी खुलेआम कहते हैं कि मां मीना देवी मर चुकी हैं… उनका सब मकान–जायदाद हमारे नाम है।
यह सुनकर मीना देवी का दिल छलनी हो जाता है। वह रोते हुए कहती हैं कि जो बेटा मां को कागज़ पर मार सकता है, उसकी जगह मेरे घर में नहीं। अब मैं उसे एक इंच भी हिस्सा नहीं दूंगी। छोटे बेटे धर्मेंद्र पूरे मामले को डीएम और एसएसपी के सामने लेकर पहुंचे। उन्होंने साफ़ कहा कि ऐसा बेटा किसी भी संपत्ति का अधिकारी नहीं है। कानून कार्रवाई करे, घर खाली करवाए।
मामले ने नगर निगम और अंचल कार्यालय की कार्यशैली पर भी बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। मेयर गणेश पासवान ने जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार के काग़ज़ों पर किसी ज़िंदा इंसान को मार देना इतना आसान है और अगर यह इतना आसान है… तो फिर यह सिर्फ़ मीना देवी की कहानी नहीं—हम सबके लिए ख़तरे की घंटी है।
रिपोर्ट- मनोज कुमार