Bihar News : गया का 'जमालपुर' गांव: जहाँ हर घर से निकलता है टेलीफोन विभाग का कर्मचारी, जानें 80 सरकारी नौकरियों की अनूठी कहानी
Bihar News : गया के 'जमालपुर' गांव को 'टेलीफोन विभाग वाले गांव' के रूप में जाना जाता है. इस गाँव में आज़ादी के बाद से लोग टेलीफोन विभाग में ज्वाइन कर रहे हैं.....पढ़िए आगे
GAYA : बिहार के गया जिले में एक ऐसा गांव है जिसकी पहचान किसी ऐतिहासिक इमारत या मंदिर से नहीं, बल्कि एक सरकारी विभाग से होती है। परैया प्रखंड मुख्यालय के समीप रेलवे लाइन के किनारे बसा जमालपुर गांव राज्य भर में 'टेलीफोन विभाग वाले गांव' के नाम से मशहूर है। इस छोटे से गांव की खासियत यह है कि यहाँ के करीब 80 लोग टेलीफोन विभाग (अब बीएसएनएल) में सरकारी नौकरी से जुड़े रहे हैं। कदम-कदम पर आपको ऐसे लोग मिल जाएंगे जिनका नाता इस विभाग से रहा है।
इस अनूठी परंपरा की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी। गांव के भोला प्रसाद इस विभाग में नौकरी पाने वाले पहले व्यक्ति थे। उनके बाद नौकरी का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि एक के बाद एक ग्रामीण इस विभाग से जुड़ते चले गए। आलम यह रहा कि 100 से अधिक घरों वाले इस गांव के लगभग 80 लोग टेलीफोन विभाग के कुनबे का हिस्सा बन गए। पीढ़ी दर पीढ़ी लोग इसी विभाग की सेवा में लगे रहे, जिससे जमालपुर गांव का नाम पूरे बिहार में चर्चा का विषय बन गया।
वर्ष 2000 में जब दूरसंचार सेवाओं को भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) का रूप दिया गया, तब तक गांव के अधिकांश लोग इस विभाग के साथ अपना करियर बना चुके थे। समय के साथ नियुक्तियों में आई कमी और रिक्तियों के अभाव के कारण नई पीढ़ी के लिए अवसर कम हुए, लेकिन विभाग के प्रति गांव का लगाव कम नहीं हुआ। आज भी इस गांव के कई लोग बीएसएनएल में कार्यरत हैं, जिनमें एक प्रमुख नाम सुरेंद्र पासवान का है।
गांव के गौरवमयी इतिहास में रामदेव प्रसाद, रघुनंदन प्रसाद, जमुना प्रसाद, नागेंद्र राम और वीरेंद्र पासवान जैसे दर्जनों नाम शामिल हैं। हालांकि, इनमें से अब अधिकांश लोग रिटायर हो चुके हैं और कई बुजुर्गों का निधन भी हो चुका है। नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद कई संपन्न परिवार दूसरे शहरों में भी बस गए, लेकिन उनकी जड़ें आज भी जमालपुर की इसी मिट्टी और टेलीफोन विभाग की यादों से जुड़ी हुई हैं।
जमालपुर गांव आज भी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो सरकारी नौकरी का सपना देखते हैं। एक ही गांव से इतनी बड़ी संख्या में एक ही विभाग में कर्मियों का होना किसी मिसाल से कम नहीं है। स्थानीय लोग गर्व से बताते हैं कि उनके गांव की पहचान राज्य स्तर तक केवल इसलिए है क्योंकि उनके पूर्वजों ने टेलीफोन विभाग के माध्यम से देश के संचार तंत्र को मजबूत करने में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
मनोज की रिपोर्ट