Diwali 2024: दिवाली एक रूप अनेक, पूर्व से पश्चिम तक- उत्तर से लेकर दक्षिण तक, अलग अंदाज में मनाई जाती है दीपावली
दिवाली भारत का सबसे बड़ा और लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भारत के विभिन्न हिस्सों में दिवाली को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
Diwali 2024: दीवाली पर प्रभु गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है।दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्योहार है। इस त्योहार को देश के हर कोने में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। घरों को दीयों से रोशन करने की पुरातन परंपरा उत्तर भारत में रही है। दीप जला कर और पटाखे फोड़कर उत्सव के रुप में यह पर्व मनाया जाता है। उत्तर भारत में दिवाली को भगवान राम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में मनाया जाता है। लोग घरों को दीपों से सजाते हैं और आतिशबाज़ी करते हैं। पंजाब में सिख समुदाय छठे गुरु हरगोविंद सिंह जी की रिहाई की खुशी में 'बंदी छोड़ दिवस' मनाता है। इस दिन गुरुद्वारों में भजन कीर्तन के साथ दीप जलाए जाते हैं।
वाराणसी में देवताओं की दिवाली मनाई जाती है। इसे देव दीपावली के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता गंगा में डुबकी लगाने के लिए धरती पर आते हैं। वाराणसी के घाटों पर दीप और सजी हुई रंगोली मंत्रमुग्ध कर देती है। देव दीपावली कार्तिक मास की पूर्णिमा को पड़ती है और दीवाली के पंद्रह दिन बाद आती है।
पश्चिम भारत में गुजरात में, लोग ‘नवमी‘ या ‘गोवर्धन पूजा’ के साथ दिवाली मनाते हैं। यहाँ विशेष रूप से मिठाइयाँ बनाने और परिवार के साथ मिलकर भोजन करने पर जोर दिया जाता है। गुजरात में दिवाली के अगले दिन को 'बेस्टु वरस' के रूप में मनाया जाता है, जो नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। व्यापारियों का यह पसंदीदा त्योहार है और वे मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करते हैं।
दक्षिण भारत में, दीवाली को ‘दीपावली‘ कहा जाता है और इसे नरक चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को साफ करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। दक्षिण भारत में दिवाली से एक दिन पहले 'नरकासुर चतुर्दशी' मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था।तमिलनाडु में दिवाली के अगले दिन लोग तेल से मालिश करके पूजा करते हैं।
पूर्व भारत में पश्चिम बंगाल में, देवी काली की पूजा विशेष महत्व रखती है। यहाँ लोग काली पूजा करते हैं और रात भर जागरण करते हैं। कोलकाता में दिवाली के दिन काली पूजा की जाती है। जो रात में होती है। देवी काली को फूलों से सजाया जाता है और मंदिरों और घरों में पूजा की जाती है। भक्त मां काली को मिठाई, दाल, चावल का भोग लगाते हैं।
प्रगति शर्मा की रिपोर्ट