Prashant Kishore: प्रशांत किशोर के जेल जाने के खेल का हुआ भंडाफोड़, प्रशासन का पर्दाफाश, पीके की गिरफ्तारी का सच आखिर है क्या...?

Prashant Kishore: प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी को लेकर बवाल जारी है। पीके के अपने दावे हैं तो पुलिस के अपने दावे हैं। इसी बीच आयोग ने पीके को नोटिस भी भेज दिया है। फिलहाल पीके अस्पताल में भर्ती हैं और अपना अनशन जारी रखे हैं।

Prashant Kishor
Prashant Kishor arrest- फोटो : social media

Prashant Kishore: जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर इन दिनों बीपीएससी अभ्यर्थियों के मामले में चर्चा का विषय बने हुए हैं। पीके बीपीएससी अभ्यर्थियों की मांग को लेकर बीते 2 जनवरी से पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन कर रहे थे। प्रशासन लगातार पीके से गांधी मैदान से हटने की अपील की जा रही थी लेकिन पीके गांधी मैदान में डटे हुए थे। जिसके बाद 6 जनवरी को प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए पीके को गांधी मैदान से सुबह 4 बजे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद पीके को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में पेशी के बाद पीके को 25 हजार के मुचलके पर जमानत दी गई साथ पीआर बॉन्ड पर साइन करने के लिए कहा गया जिसमें लिखा था कि पीके आगे से सार्वजनिक स्थान पर धरना प्रदर्शन नहीं करेंगे। लेकिन यहां से कहानी में नया मोड़ आया।

पीके को कैसे मिली जमानत

पीके ने शर्तों वाली जमानत लेने से इनकार कर दिया है और जेल भेजने की बात कही। पीके को बेऊर जेल लेकर तो जाया गया लेकिन थोड़ी देर बाद उन्हें बेल मिल गई। अब पीके को बेल कैसे मिली ये लेकर बिहार में जंग छिड़ गया है। पुलिस और पीके की ओर से अलग अलग बयान दिए जा रहे हैं। एक ओर पीके का दावा है कि उन्हें बेल बिना किसी शर्त को मिली है तो वहीं पुलिस का दावा है कि बेल बॉन्ड भरने के बाद पीके को जमानत दी गई है। पुलिस ने पीके के बयानों को गलत बताया है और इस मामले में प्रशान ने अपना बयान जारी किया है। 

पीके की गिरफ्तारी पर बवाल

दरअसल, पीके की गिरफ्तारी और बेऊर जेल भेजे जाने को लेकर दोनों पक्षों के अलग-अलग दावे सामने आए हैं। पीके का कहना है कि पुलिस ने उन्हें बिना कोर्ट के आदेश के बेऊर जेल भेज दिया, जबकि प्रशासन का दावा है कि उन्हें भीड़ नियंत्रण के लिए बेऊर थाने ले जाया गया था, न कि जेल। 

प्रशांत किशोर का आरोप

प्रशांत किशोर ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने उन्हें बेऊर जेल भेजा, जबकि उनके पास कोर्ट का आदेश नहीं था। उन्होंने राज्य सरकार से सवाल पूछा कि इस मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी?

पटना प्रशासन का जवाब

प्रशांत किशोर के आरोपों का जवाब देते हुए पटना जिला प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी की। प्रशासन ने कहा कि पीके को भारी भीड़ के कारण बेऊर थाने ले जाया गया था, और वहां कोर्ट के लिखित आदेश का इंतजार किया जा रहा था। प्रशासन ने यह भी बताया कि पीके को 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया।

प्रशासन ने लगाए आरोपों पर सियासी रंग देने का आरोप

पटना प्रशासन ने पीके के आरोपों को सियासी फायदे के लिए फैलाए गए अफवाह के रूप में बताया। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि कोर्ट का आदेश मिलने के बाद ही पीके को नियमानुसार रिहा किया गया।

पीके का सवाल

पीके ने अपनी रिहाई के बाद मीडिया से सवाल किया कि उन्हें बिना किसी कागजात के बेऊर जेल कैसे भेजा गया और इस पर कार्रवाई कौन करेगा?

पुलिस का बयान

पुलिस ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि गिरफ्तार व्यक्ति को निजी मुचलका भरने की आवश्यकता होती है, चाहे वह जमानत थाने से मिले या कोर्ट से। पुलिस ने कहा कि पीके को कोर्ट में पेश किया गया था, और कोर्ट के आदेश के बाद 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें रिहा किया गया।

गिरफ्तारी के पीछे का कारण

पीके को BPSC छात्रों के मुद्दे पर अनशन करने के दौरान गिरफ्तार किया गया था। पहले कोर्ट ने जमानत की शर्त रखी थी कि वह आगे धरना-प्रदर्शन नहीं करेंगे, लेकिन पीके ने जेल जाने को स्वीकार किया। उनके वकीलों ने बाद में कोर्ट से दोबारा जिरह की, जिसके बाद कोर्ट ने धरना-प्रदर्शन की शर्त हटा दी। वकीलों का तर्क था कि इस मामले में थाने से ही जमानत मिल जानी चाहिए थी और कोर्ट ले जाने की आवश्यकता नहीं थी।

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