Bihar News: 28 लाख का कर्ज, डेढ़ करोड़ का बोझ, नीलामी पर कैमूर में जल संसाधन विभाग की ज़मीन
Bihar News:कैमूर जिले के मोहनिया में गुरुवार को ऐसा नज़ारा देखने को मिला जिसने सरकारी विभाग की साख पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। सिविल कोर्ट मोहनिया के आदेश पर जल संसाधन विभाग के कार्यालय परिसर में डुगडुगी बजाकर इश्तहार चिपकाए गए।
N4N डेस्क:बिहार के कैमूर जिले के मोहनिया में गुरुवार को ऐसा नज़ारा देखने को मिला जिसने सरकारी विभाग की साख पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। सिविल कोर्ट मोहनिया के आदेश पर जल संसाधन विभाग के कार्यालय परिसर में डुगडुगी बजाकर इश्तहार चिपकाए गए। अदालत ने साफ कर दिया है कि विभाग का बकाया नहीं चुकाने पर अब उसकी ज़मीन की नीलामी होगी।
अदालत ने नीलामी की कार्रवाई के तहत विभागीय कार्यालय समेत आसपास की कुल 3.75 एकड़ जमीन को नीलामी सूची में शामिल किया है। आदेश के बाद गुरुवार को नापी की प्रक्रिया भी पूरी कराई गई और रिपोर्ट विभाग को सौंप दी गई।
मामला मेसर्स शिव शंकर कंस्ट्रक्शन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है। कंपनी का आरोप है कि 1992 से जल संसाधन विभाग पर उसका 28 लाख रुपये बकाया है। विभाग की ढीलाई और आदेश की अनदेखी के चलते यह रकम ब्याज सहित अब बढ़कर लगभग डेढ़ करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
पहले कंपनी ने व्यवहार न्यायालय, भभुआ में गुहार लगाई थी। वहां से विभाग को भुगतान का आदेश दिया गया, लेकिन आदेश की अनदेखी हुई। आखिरकार कंपनी ने मोहनिया सिविल कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, जहां से अब सख्त कार्रवाई का फरमान जारी हुआ।
अधिवक्ता प्रमोद कुमार पांडे के मुताबिक जैसे ही डुगडुगी बजी और इश्तहार चिपकाए गए, विभागीय कार्यालय के बाहर लोगों की भीड़ लग गई। हर किसी के ज़ेहन में सवाल था कि “क्या सरकारी विभाग की ज़मीन भी नीलाम हो सकती है?”
यह घटना सिर्फ़ कैमूर या जल संसाधन विभाग तक सीमित नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम की लापरवाही और अकर्मण्यता की पोल खोलती है।28 लाख की अदायगी न कर पाने की लापरवाही अब विभाग को डेढ़ करोड़ के बोझ और ज़मीन गंवाने की नौबत तक खींच लाई है।