Bihar News : धूमधाम से मनाया गया खगड़िया जिले का 44 वां स्थापना दिवस, प्रभात फेरी सहित कई कार्यक्रमों का हुआ आयोजन

Bihar News : खगड़िया जिले की स्थापना के आज 44 साल पूरे हो गए हैं. इस मौके पर प्रभात फेरी सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. वहीँ जिले के डीएम और एसपी ने जिलेवासियों को बधाई दी......पढ़िए आगे

खगड़िया का 44 वां स्थापना दिवस - फोटो : AMIT

KHAGARIA : खगड़िया जिले का 44 वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर आज जिलाधिकारी के आदेश के बाद जिले के सभी विद्यालयों में प्रभात फेरी निकाली गई। साथ ही विद्यालय के शिक्षकों द्वारा बच्चों को खगड़िया की तरक्की, खगड़िया का भौगोलिक और राजनीतिक ऐतिहासिक पहलुओं पर बच्चों को अवगत कराया गया। आज खगड़िया जिला पर आधारित एक  वीडियो क्लिप भी जिला अधिकारी खगड़िया, जिला परिषद अध्यक्ष, डीडीसी अभिषेक पलासिया एवं विभिन्न पदाधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

बताते चलें कि 10 मई 1981 को मुंगेर से अलग होकर खगड़िया जिला बना था। खगड़िया को जिला बने 44 वर्ष पूरे हो गए हैं। अब यह 45 वें वर्ष में प्रवेश करेगा। खगड़िया को नदियों का नैहर कहा जाता है। यह सात नदियों और 54 धारा-उपधारा से घिरा हुआ है। खगड़िया होकर कोसी, काली कोसी, करेह, कमला, बागमती, गंगा और बूढ़ी गंडक जैसी विशाल नदियां गुजरती है। इसका सौभाग्य है कि यहां बूढ़ी गंडक नदी गंगा से संगम करती है। गोगरी के आसपास। जबकि सोनवर्षा घाट के पास बागमती नदी कोसी से संगम करती है। बेलदौर के कंजरी-गवास के पास काली कोसी का कोसी से संगम होता है। नदियों ने जहां यहां समृद्धि के द्वार खोले हैं, वहीं विनाशलीला भी रची है। समय-समय पर जिले को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा है। खैर, कोसी-बागमती के किनारे ही प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां कात्यायनी स्थान है। जहां दूर-दूर से साधक, श्रद्धालु आते हैं। जबकि बूढ़ी गंडक के किनारे जिला मुख्यालय में प्रसिद्ध तंत्र स्थल अघोरी स्थान है। जिसकी स्थापना प्रसिद्ध ओघर डॉ. रामनाथ ओघर ने की थी। यह भी जिला का गौरव है। खगड़िया-भागलपुर की सीमा पर गंगा नदी किनारे प्रसिद्ध  ऐतिहासिक धरोहर भरतखंड का 52 कोठरी 53 द्वार प्रसिद्ध है और कड़ुआ मोर का पेरा का कहना ही क्या।

अगर खगड़िया की राजनीतिक स्थिति को देखें तो खगड़िया अंतर्गत अलौली के शहरबननी से पूर्व केंद्रीय मंत्री लोजपा सुप्रीमो  स्व रामविलास पासवान खगड़िया से आते हैं। उन्होंने देश के स्तर पर खगड़िया का नाम राजनीतिक क्षितिज पर आगे बढ़ाया। खगड़िया की भौगोलिक स्थिति की बात करें तो सात नदियों से घिरा यह खगड़िया फ़रकिया के नाम से जाना जाता है। मुगल शासक अकबर ने अपने मंत्री टोडरमल को खगड़िया के जमीन की पैमाइश करने के लिए कहा था। जिसमें घने जंगलों उबर खाबर जमीनों की पैमाईश टोडरमल नहीं कर पाए थे। जिससे उन्होंने इसे छोड़ दिया था। तब से इसे फरकिया भी कहा जाता है। यहां की दही काफी चर्चित है। कहा जाता है की खगड़िया के दही को गमछा में बांधकर ले जाया जा सकता है। खगड़िया की फसलों की बात करें तो यहां मक्का गेहूं केले की प्रचुर मात्रा में खेती होती है।

खगड़िया से अमित की रिपोर्ट