Lakhisarai crime: बिहार में 'रावण' ने त्यागे हथियार! 15 सालों से चल रहा था फरार, सिर पर था 3 लाख का ईनाम
Lakhisarai crime: लखीसराय में तीन लाख के इनामी माओवादी रावण कोड़ा ने 15 वर्षों बाद आत्मसमर्पण किया। जानिए उसके अपराध, आत्मसमर्पण की वजह और पुनर्वास नीति के तहत मिलने वाले लाभ।
Lakhisarai crime: बिहार के लखीसराय जिले में शनिवार (7 जून( को तीन लाख के इनामी माओवादी रावण कोड़ा ने एसपी अजय कुमार के समक्ष आत्मसमर्पण कर पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया।15 वर्षों तक जंगल और हिंसा की जिंदगी जीने वाला यह व्यक्ति अब समाज की मुख्यधारा में लौटने की ओर पहला कदम बढ़ा चुका है।
रावण कोड़ा ने अपने आत्मसमर्पण के दौरान कहा कि मैंने 15 साल माओवादी संगठन में बिताए। अब एसटीएफ की पहल पर आत्मसमर्पण कर रहा हूं और समाज के साथ जुड़कर एक नई शुरुआत करना चाहता हूं।”
कौन है रावण कोड़ा? जानिए उसका आपराधिक इतिहास
रावण कोड़ा, लखीसराय जिले के कजरा थाना अंतर्गत शीतला कोड़ासी गांव का निवासी है। उसके खिलाफ लखीसराय, जमुई और मुंगेर जिलों में कुल 26 नक्सली केस दर्ज हैं। बता दें कि 2013 में धनबाद-पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस पर हमला (कुंदर हाल्ट के पास और लखीसराय के कजरा, पीरी बाजार, चानन में नक्सली घटनाएं को अंजाम दिया गया था। रावण कोड़ा की मुंगेर के हवेली खड़गपुर, शामपुर, बरियारपुर, लड़ैयाटांड में सक्रियता थी। उसने जमुई जिले के बरहट और खैरा थाना क्षेत्र में वारदातें को अंजाम दिया था। उसने 2021 में अजीमगंज मुखिया परमानंद टुड्डू की गला काट कर हत्या कर दी थी।ये घटनाएं बिहार-झारखंड-छत्तीसगढ़ क्षेत्र में उसकी माओवादी नेटवर्किंग और हिंसा की गंभीरता को दर्शाती हैं।
आत्मसमर्पण समारोह
रावण कोड़ा के आत्मसमर्पण को लखीसराय पुलिस ने सांकेतिक जीत के रूप में लिया।एसपी अजय कुमार, एसटीएफ के एएसपी रमाकांत प्रसाद, डीएसपी सुनील कुमार शर्मा सहित एसएसबी अधिकारियों ने कोड़ा, उसकी पत्नी और बच्चों का फूलमालाओं से स्वागत किया।इस दौरान पुलिस द्वारा मानवीय व्यवहार का प्रदर्शन हुआ। यह दिखाता है कि राज्य सरकार सिर्फ सजा नहीं, बल्कि पुनर्स्थापना और सुधार की नीति में विश्वास रखती है।
पुनर्वास नीति के तहत मिलने वाली सुविधाएं
राज्य सरकार की उग्रवादियों के आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत रावण कोड़ा को निम्नलिखित आर्थिक और सामाजिक लाभ मिलेंगे। इसके लिए रावन कोड़ा के बैंक में 2,50,000 रुपये, 3 लाख इनामी राशि और प्रशिक्षण व जीविका भत्ता के तौर पर अगले 36 महीनों तक 10,000 प्रतिमाह दिए जाएंगे।इनके अतिरिक्त सरकार की ओर से व्यावसायिक प्रशिक्षण, रोजगार में प्राथमिकता, आवास और चिकित्सा सुविधा भी दी जा सकती है।
सुरक्षा बलों की रणनीति: लगातार बढ़ रहा दबाव
लखीसराय सहित बिहार के कई नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स),एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल),जिला पुलिस की संयुक्त टीम लगातार सर्च और छापेमारी अभियान चला रही है।मामले पर एसपी अजय कुमार ने कहा कि लगातार दबाव के चलते नक्सलियों का मनोबल टूट रहा है। अब वे आत्मसमर्पण को विकल्प मान रहे हैं। यह दर्शाता है कि कठोर रणनीति के साथ-साथ पुनर्वास विकल्प ने नक्सल समस्या को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।