Bihar Police transfer:बिहार पुलिस में बड़ा फेरबदल, कई थानों के नए थानाध्यक्ष नियुक्त, यहां देखिए लिस्ट, चुनावी मौसम में पुलिस महकमे का बड़ा ऑपरेशन
Bihar Police transfer: बिहार में विधानसभा चुनावी सरगर्मी जैसे-जैसे तेज़ हो रही है, सूबे की कानून-व्यवस्था पर भी हुकूमत का शिकंजा कसना शुरू हो गया है।इसी क्रम में पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल किया गया है।...
Bihar Police transfer: बिहार में विधानसभा चुनावी सरगर्मी जैसे-जैसे तेज़ हो रही है, सूबे की कानून-व्यवस्था पर भी हुकूमत का शिकंजा कसना शुरू हो गया है। मधेपुरा ज़िले में पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल किया गया है। जिले के 14 थाना समेत यातायात थाना, घैलाढ़ ओपी और मठाही शिविर में नए थानाध्यक्षों की तैनाती कर दी गई है।
एसपी संदीप सिंह ने आदेश जारी करते हुए साफ़ कहा कि 24 घंटे के भीतर सभी नए पदाधिकारी कार्यभार संभालें, वरना कार्रवाई तय है। इस आदेश को चुनाव से पहले अपराधियों के हौसले पस्त करने की सख्त कार्रवाई माना जा रहा है।
सबसे अहम तब्दीली उदाकिशुनगंज, सिंहेश्वर और कुमारखंड थाना में की गई है। उदाकिशुनगंज के नए थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर सुधाकर कुमार बनाए गए हैं, जबकि यहाँ कार्यरत विनोद कुमार सिंह को स्थानांतरित कर सिंहेश्वर थाने की कमान सौंपी गई है। उधर, कुमारखंड के थानाध्यक्ष पंकज कुमार को उनके आवेदन पर पुलिस लाइन भेजा गया है और उनकी जगह रंजन कुमार (पूर्व थानाध्यक्ष, परमानंदपुर) को तैनात किया गया है।
इसके अलावा कई और अधिकारियों को नए पद दिए गए हैं।
अमन आनन को यातायात थानाध्यक्ष बनाया गया।
ज्योतिष कुमार को घैलाढ़ ओपी प्रभारी की जिम्मेदारी मिली।
कृष्णा कुमार को मठाही शिविर का प्रभार सौंपा गया।
इसी क्रम में कुलवंत कुमार (आलमनगर), विक्की रविदास (अरार), वरुण कुमार शर्मा (फुलौत), साजन पासवान (रतवारा), अरमोद कुमार (भर्राही), बरुण कुमार (बेलारी) को भी थानाध्यक्ष की कुर्सी दी गई है।
महिला थाना का प्रभार नीतु कुमारी को सौंपा गया है, जबकि राजीव कुमार (भतनी), कृष्णा कुमार सिंह (बिहारीगंज), संतोष कुमार (ग्वालपाड़ा), विकास कुमार मिश्रा (परमानंदपुर) को भी नई जिम्मेदारी दी गई है।
यह फेरबदल चुनावी मौसम में साफ़ संदेश देता है कि प्रशासन किसी भी क़ीमत पर लॉ एंड ऑर्डर के साथ समझौता करने को तैयार नहीं है। पुलिस महकमे की इस तैनाती से अपराधियों पर नकेल कसने और मतदाताओं को सुरक्षित माहौल देने की कवायद मानी जा रही है।
राजनीतिक पंडित मानते हैं कि चुनावी दौर में अक्सर अपराध और असामाजिक तत्व सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में थानों पर मजबूत और सख्त मिज़ाज अफ़सरों की तैनाती ही अपराध पर रोक लगाने का हथियार बन सकती है।