Bihar school News: मुजफ्फरपुर के बसतपुर में उर्दू पर ‘कालिख’ की सियासत, स्कूल के नाम पर असामाजिक तत्वों का तांडव, ग्रामीणों में आक्रोश

Bihar school News: विद्यालय के भवन पर उर्दू लिपि में लिखे स्कूल के नाम को कुछ असामाजिक तत्वों ने कालिख पोतकर मिटाने की कोशिश की। स्कूल की दीवार, जो बच्चों को शिक्षा देने का प्रतीक है, अब सांप्रदायिक नफरत का शिकार बनने लगी है।

उर्दू पर ‘कालिख’ की सियासत- फोटो : reporter

Muzaffarpur:  जो पहले ही भ्रष्टाचार और अपराध की सुर्खियों में डूबा हुआ है, अब एक नई सांप्रदायिक साजिश का गवाह बना है। राजखंड उत्तरी पंचायत के बसतपुर गांव में राजकीय मध्य विद्यालय बसंतपुर के भवन पर उर्दू लिपि में लिखे स्कूल के नाम को कुछ असामाजिक तत्वों ने कालिख पोतकर मिटाने की कोशिश की। यह शर्मनाक घटना मंगलवार, 13 मई 2025 की सुबह सामने आई, जब ग्रामीणों की नजर इस हरकत पर पड़ी। स्थानीय लोगों ने इसे सामुदायिक सौहार्द पर हमला बताते हुए प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह महज कुछ शरारती तत्वों की करतूत है, या 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले सांप्रदायिक तनाव भड़काने की सुनियोजित साजिश? 

कालिख का काला खेल: उर्दू लिपि पर निशाना

बिहार के सरकारी स्कूलों में हिंदी के साथ-साथ उर्दू लिपि में नाम लिखना कोई नई बात नहीं। यह प्रथा न केवल उर्दू भाषी समुदाय की भावनाओं का सम्मान करती है, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक विविधता को भी दर्शाती है। लेकिन बसतपुर के राजकीय मध्य विद्यालय में उर्दू लिपि में लिखे नाम को कालिख से पोत देना सामान्य शरारत नहीं, बल्कि सामाजिक एकता को खंडित करने की कोशिश है। मंगलवार की सुबह, जब ग्रामीण स्कूल की ओर गए, तो उनकी नजर इस घृणित कृत्य पर पड़ी। स्कूल की दीवार, जो बच्चों को शिक्षा देने का प्रतीक है, अब सांप्रदायिक नफरत का शिकार बन चुकी थी। 

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की हरकत हुई हो, लेकिन इस बार इसका समय संदिग्ध है। बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और सियासी दल वोटबैंक की खातिर हर तरह की चाल चल रहे हैं। ऐसे में, उर्दू लिपि को निशाना बनाना साफ तौर पर माहौल बिगाड़ने की साजिश लगती है। 

ग्रामीणों का गुस्सा, सियासी बयानबाजी शुरू

घटना ने बसतपुर गांव में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। ग्रामीणों ने इसे न केवल स्कूल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की हरकत, बल्कि सामुदायिक सौहार्द पर हमला बताया। स्थानीय निवासी और छात्र राजद के जिला उपाध्यक्ष आकाश यादव ने इस घटना को सियासी रंग देते हुए कहा, “चुनावी समय में कुछ लोग माहौल खराब करने की साजिश रच रहे हैं। उर्दू लिपि पर कालिख पोतना सिर्फ एक दीवार को गंदा करना नहीं, बल्कि बिहार की गंगा-जमुनी तहजीब पर हमला है। इस साजिश को बेनकाब करना जरूरी है।” 

आकाश यादव का बयान सही हो सकता है, लेकिन यह भी सच है कि बिहार की सियासत में हर घटना को चुनावी चश्मे से देखने की परंपरा रही है। राजद का यह बयान विपक्षी दलों को निशाना बनाने की कोशिश हो सकता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस घटना को सिर्फ सियासत तक सीमित रखना चाहिए? ग्रामीणों की मांग साफ है—दोषियों को पकड़ा जाए, और ऐसी हरकतों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। 

प्रधानाचार्य का कदम: बैठक और शिकायत की तैयारी

विद्यालय के प्रधानाचार्य मगरूर आलम ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। उन्होंने बताया कि बुधवार, 14 मई 2025 को ग्रामीणों की एक बैठक बुलाई गई है, जिसमें इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा होगी। इसके बाद, लिखित शिकायत स्थानीय थाने में दर्ज की जाएगी। मगरूर आलम ने कहा, “यह सिर्फ स्कूल की दीवार का सवाल नहीं, बल्कि हमारे सामाजिक ताने-बाने पर हमला है। हम प्रशासन से पूरी जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की उम्मीद करते हैं।

रिपोर्ट-मणिभूषण शर्मा