Bihar liquor gang: बिहार में शराबबंदी की पोल खोलती ये खबर! रेलवे से जुड़ा स्पेशल कनेक्शन, मामला जान उड़ जाएगा होश

Bihar liquor gang: बिहार में ट्रेन के जरिए हो रही शराब तस्करी के बड़े नेटवर्क का खुलासा। पांच महीने से फरार मुख्य आरोपी मोहम्मद नैयर मुजफ्फरपुर जंक्शन से गिरफ्तार।

चाय के प्याले में शराब की तस्करी!- फोटो : social media

Bihar liquor gang: बिहार की शराबबंदी एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। ट्रेनों के जरिये बड़े पैमाने पर शराब सप्लाई करने वाला नेटवर्क आखिरकार बेनकाब हो गया है। इस पूरे रैकेट का मुख्य सरगना मोहम्मद नैयर, जिसे महीनों से तलाशा जा रहा था, अब जीआरपी मुजफ्फरपुर की गिरफ्त में है। नैयर को जंक्शन से उस समय पकड़ा गया जब वह खुद को सामान्य चायवाले की तरह भीड़ में मिलाने की कोशिश कर रहा था।उस पर मई 2025 में लखनऊ–बरौनी एक्सप्रेस की पावर कार से मिली भारी मात्रा की विदेशी शराब के मामले में कार्रवाई की जा रही थी। इसी केस में आरपीएफ क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी।

पावर कार बनी तस्करी का सुरक्षित ठिकाना

जांच में पता चला कि शराब की खेप ट्रेन की पावर कार से रोजाना भेजी जा रही थी। उस दिन मौके से पकड़े गए संविदाकर्मी गुलशन ने स्वीकार किया कि वह लंबे समय से यही काम कर रहा था और हर खेप सीधे नैयर तक पहुंचाई जाती थी।मुजफ्फरपुर से समस्तीपुर तक फैल चुके इस नेटवर्क में पावर कारों को इतना सुरक्षित माना जाने लगा था कि तस्कर बिन किसी डर के रोज शराब लोड कराते थे।

चायवाले की पहचान का इस्तेमाल कर रहा था बड़ा नेटवर्क

नैयर मूल रूप से समस्तीपुर के नाजीरगंज का रहने वाला है। वह मुजफ्फरपुर जंक्शन के आसपास किराए के कमरे में रहता था और खुद को चाय बेचने वाला बताता था, लेकिन यह चाय बेचना असल में उसके पूरे माफिया रैकेट की आड़ थी। यात्रियों और कर्मचारियों से आसान संपर्क बनाने के लिए उसने यही पहचान बनाई थी।

मोबाइल रिकॉर्ड ने खोली परतें—RPF और GRP कर्मियों से दर्जनों बार बातचीत

कॉल डिटेल रिकॉर्ड सामने आने पर इस मामले ने नया मोड़ ले लिया। नैयर और गुलशन दोनों के मोबाइल से RPF और GRP के कई कर्मियों से हैरान कर देने वाली बार–बार बातचीत पाई गई। किसी से 80 बार संपर्क, किसी से 50 बार—इसने तय कर दिया कि यह नेटवर्क अंदरूनी सहयोग के बिना संभव ही नहीं था। इस खुलासे के तुरंत बाद संदिग्ध पुलिसकर्मियों का स्थानांतरण किया गया।

कटही पुल के पास होटल से चलता था गुप्त ठिकाना

जांच में यह भी सामने आया कि नैयर कटही पुल के पास एक छोटा होटल चलाता था। कई रेलवे कर्मी वहां भोजन के लिए आते-जाते थे और इसी बहाने वह संपर्क और सौदे बढ़ाता था।जैसे-जैसे पुलिस जांच आगे बढ़ी, यह साफ होता गया कि यह होटल उसके लिए बैठक स्थल की तरह इस्तेमाल होता था, जहां से पूरा नेटवर्क निर्देश लेता था।

पांच महीने की फरारी

रेल एसपी वीणा कुमारी ने नैयर की गिरफ्तारी के लिए कई बार निर्देश दिए थे, लेकिन स्थानीय स्तर पर गंभीरता की कमी के कारण वह पांच महीने तक गिरफ्त से बाहर रहा।आखिरकार स्पेशल इंटेलिजेंस टीम ने जंक्शन के आसपास निगरानी बढ़ाई और ट्रैप लगाकर नैयर को पकड़ लिया। उसके पकड़े जाने के बाद उसे सोनपुर रेल थाना के हवाले कर दिया गया।

नैयर की गिरफ्तारी के बाद बड़ा खुलासा

यह केस अब बिहार के शराबबंदी सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। पावर कार जैसे सुरक्षित हिस्से से शराब की तस्करी यह बताती है कि बड़ी मिलभगत के बिना यह स्तर का नेटवर्क चल ही नहीं सकता।नैयर की गिरफ्तारी के बाद उम्मीद है कि इस रैकेट के और भी नाम सामने आएंगे और लंबे समय से चल रही अवैध सप्लाई का पूरा पर्दाफाश होगा।