Mgnrega Ghotala: मरकर भी मजदूरी! 'मृत महिला' बनी मनरेगा वर्कर, जिंदा बेरोजगारों के मुंह पर तमाचा!
Mgnrega Ghotala: बिहार में जिंदगी भले ही बेरोजगारी से तंग हो, लेकिन मौत के बाद रोजगार की गारंटी सरकार ने शायद ‘गुप्त योजना’ के तहत दे रखी है।
Mgnrega Ghotala: बिहार में जिंदगी भले ही बेरोजगारी से तंग हो, लेकिन मौत के बाद रोजगार की गारंटी सरकार ने शायद ‘गुप्त योजना’ के तहत दे रखी है। ऐसा ही एक होश उड़ा देने वाला मामला मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड के मथुरापुर बुजुर्ग पंचायत से सामने आया है, जहां मृत महिला की मनरेगा में हाज़िरी लग रही है, वो भी बाकायदा पंचायत सेवक के दस्तखत से!
जी हां, मनोरमा देवी, जो महीनों पहले इस फानी दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं, सरकारी कागज़ों में आज भी कुदाल चलाती, पसीना बहाती और गड्ढे खोदती नज़र आ रही हैं। ना आत्मा भटकी, ना शरीर सड़ा — सीधे मनरेगा साइट पर ‘हाज़िर’ हो गईं!
जब हकीकत सामने आई, तो पंचायत सेवक मनीष कुमार ने इसे "मानवीय भूल" कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। उनका दावा है कि भुगतान नहीं हुआ है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि अगर मामला उजागर नहीं होता, तो क्या किसी की आत्मा जागती?
इस 'भूतिया रोजगार' पर अब प्रशासन में हलचल मच चुकी है, लेकिन प्रखंड विकास पदाधिकारी विनीत कुमार से बात करने की कोशिश भी भूतिया नेटवर्क की तरह नाकाम रही।
अब जनता की शिकायत भी जायज है कि सरकार ज़िंदा इंसानों को तो रोजगार दे नहीं पा रही, मरे हुए अब नौकरी कर रहे हैं। क्या अब नौकरी के लिए पहले मरना पड़ेगा? या फिर पंचायतों में आत्माओं की भर्ती योजना चल रही है?
इस शर्मनाक लापरवाही ने बिहार की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर करारा तमाचा मारा है। क्या यह भ्रष्टाचार की नई पराकाष्ठा है या सिस्टम का मजाक? जब मृत आत्माएं भी मजदूरी करें, तो समझ लीजिए कि बिहार में सरकारी फाइलें जिंदगी से ज्यादा चालाक हैं!
रिपोर्ट- मणि भूषण शर्मा