Chhath Mahaparv 2025 : छठ महापर्व के दूसरे दिन औगांरी धाम और बड़गांव में उमड़ा जनसैलाब, जानिए क्या है सूर्यपीठ की मान्यता
Chhath Mahaparv 2025 : छठ महापर्व को लेकर नालंदा के औगांरी धाम और बड़गांव में जनसैलाब उमड़ पड़ा. जहाँ श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और अपने परिवार व इष्ट-मित्रों को भी प्रसाद वितरित किया....पढ़िए आगे
NALANDA : जिले की पवित्र धरती पर रविवार को छठ महापर्व का दूसरा दिन ‘खरना’ धार्मिक उत्साह और आस्था के रंग में डूबा नजर आया। औगांरी धाम और बड़गांव सूर्य नगरी में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। व्रतधारियों ने दिनभर निर्जला उपवास रखा और शाम होते-होते रसिया खीर, अरवा चावल और दाल का प्रसाद बनाकर भगवान भास्कर को अर्पित किया। पूजा-अर्चना के बाद व्रतधारियों ने प्रसाद ग्रहण किया और अपने परिवार व इष्ट-मित्रों को भी प्रसाद वितरित किया।
चार दिनों तक चलने वाले इस कठिन व्रत को निभाने के लिए श्रद्धालु औगांरी धाम और बड़गांव सूर्य नगरी में तंबू लगाकर प्रवास करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन पवित्र स्थलों पर रहकर छठ व्रत करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र राजा साम्ब ने औगांरी धाम और बड़गांव सूर्यपीठ में कठोर तपस्या कर सूर्यदेव की आराधना की थी। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान भास्कर ने उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्ति प्रदान की थी। तभी से यह स्थान सूर्य उपासना के प्रमुख केंद्रों में गिना जाता है।
खरना के अवसर पर शाम के समय घाटों पर भक्ति और लोकगीतों की मधुर धुनें गूंजती रहीं। महिलाओं ने पारंपरिक वस्त्रों में सजकर पूजा की और सूर्यदेव से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। वहीं, जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए औगांरी धाम और बड़गांव सूर्य नगरी में सुरक्षा, प्रकाश, पानी और सफाई की विशेष व्यवस्था की थी।
चार दिवसीय छठ महापर्व का यह दूसरा दिन पूर्ण श्रद्धा, भक्ति और संयम का प्रतीक बन गया। औगांरी धाम और बड़गांव सूर्य नगरी में उमड़े श्रद्धालुओं ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि नालंदा आज भी सूर्य उपासना की पावन परंपरा का जीवंत केंद्र है।
नालंदा से राज की रिपोर्ट