Bihar Education - बिहार के सरकारी स्कूलों का निराशाजनक प्रदर्शन - आईआईटी और नीट मॉक टेस्ट में 97.5% बच्चे फेल, शिक्षा व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल
Bihar Education - सरकारी स्कूलों के छात्रों के बीच नीट और जेईई की तैयारी को लेकर मॉक टेस्ट कराया गया। जिसमें 97 परसेंट से ज्यादा बच्चे फेल हो गए।
Patna - बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को आईआईटी जेईई और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने के उद्देश्य से जुलाई माह में एक मॉक टेस्ट का आयोजन किया। यह मॉक टेस्ट राज्य के सरकारी स्कूलों में दी जा रही विज्ञान और गणित की शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए था। हालांकि, इस टेस्ट के परिणाम ने शिक्षा विभाग के दावों की पोल खोल दी, क्योंकि 97.5% बच्चे इस टेस्ट में असफल रहे, जो कि एक बेहद निराशाजनक आंकड़ा है।
राज्यव्यापी परिणाम चौंकाने वाले
यह मॉक टेस्ट राज्य के 11वीं और 12वीं के छात्रों के लिए स्कूलों में संचालित आईसीटी लैब में आयोजित किया गया था। जुलाई की रिपोर्ट के अनुसार, 14 और 15 जुलाई को आयोजित आईआईटी जेईई के मॉक टेस्ट में पूरे राज्य से 37,921 छात्रों ने भाग लिया था, जिनमें से केवल 1,968 बच्चे ही सफल हो पाए। बाकी 35,953 छात्र फेल हो गए। यह असफलता का प्रतिशत 97.5% है, जो राज्य की शिक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। उदाहरण के तौर पर, बांका जिले में 987 छात्रों में से 894 फेल हुए, जबकि केवल 93 ही पास हो पाए।
कुछ जिलों का प्रदर्शन और भी खराब
इस रिपोर्ट में कुछ जिलों का प्रदर्शन विशेष रूप से चिंताजनक रहा। पटना, मधेपुरा, और मुंगेर जैसे जिलों से एक भी बच्चा मॉक टेस्ट में सफल नहीं हो पाया। पटना जिले के 34 छात्रों ने भाग लिया, और सभी 34 फेल हो गए। इसी तरह, मधेपुरा के 90 और मुंगेर के 69 छात्रों में से सभी असफल रहे। इन जिलों के अलावा, किशनगंज, सहरसा, और शिवहर भी "येलो जोन" में शामिल थे, क्योंकि इन जिलों से 100 से भी कम छात्रों ने टेस्ट में हिस्सा लिया था। इनमें से सिर्फ किशनगंज से 5 छात्र पास हुए, जबकि शिवहर के 9 छात्र फेल हो गए।
मॉक टेस्ट से उजागर हुई शिक्षा की जमीनी हकीकत
यह मॉक टेस्ट सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि सरकारी स्कूलों में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता का आईना है। रिपोर्ट साफ तौर पर दिखाती है कि छात्रों को विज्ञान और गणित की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है, जिससे वे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार नहीं हो पा रहे हैं। इस तरह के निराशाजनक परिणाम बिहार शिक्षा परियोजना परिषद और शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करते हैं।
आगे की राह क्या?
इन नतीजों के बाद, शिक्षा विभाग को अपनी रणनीतियों पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की जरूरत है। यह स्पष्ट है कि सिर्फ मॉक टेस्ट आयोजित करने से समस्या हल नहीं होगी। छात्रों को आईआईटी और नीट जैसी परीक्षाओं के लिए तैयार करने के लिए, स्कूलों में शिक्षण पद्धति को सुधारना, योग्य शिक्षकों की नियुक्ति करना, और छात्रों को बेहतर संसाधन उपलब्ध कराना अनिवार्य है। यह रिपोर्ट सरकार और शिक्षा विभाग के लिए एक चेतावनी है कि शिक्षा के क्षेत्र में तत्काल और प्रभावी कदम उठाए जाएं ताकि भविष्य में ऐसे निराशाजनक परिणाम न देखने पड़ें।