Bihar flood - नीतीश सरकार ने जिस इलाके को छोड़ दिया, चिराग का भरोसा ही भर रहा पेट, सांसद अरूण भारती अब संसद में उठाएंगे मुद्दा
Bihar flood - नीतीश सरकार ने जिस बाढ़ प्रभावित इलाके में कोई राहत कार्य शुरू नहीं किया, वहां अब चिराग का भरोसा लेकर सांसद अरुण भारती पहुंचे हैं।

Sheikhpura - बिहार के 12 जिलों के करीब 6.50 लाख परिवारों के बीच 456.12 करोड़ रुपये की अनुग्रह राहत राशि डीबीटी के माध्यम से जल्द दी जाएगी. जिसमें लखीसराय के 25 हजार बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत मिलेगी. लेकिन लेखीसराय के सटे शेखपुरा जिले के बाढ़ प्रभावित लोगों को कुछ भी नहीं मिलेगा. जबकि शेखपूरा के घाट कुसुंभा प्रखंड के सभी गांव टापू बन गए हैं.
गांव के लोगों को न खाने को मिल रहा है, न ही साफ पानी पीने के लिए...हालात भयावह है...स्थानीय एनडीए सांसद अरूण भारती ने इलाके का दौरा किया. अपने और अपनी पार्टी के स्तर पर इलाके में चिराग का भरोसा कैंपन लगातार चला रहे हैं. कैंपने के जरिए हर गरीब परिवार को फुड पेकैट दिया जा रहा है.
क्षेत्र को बाढ़ प्रभावित घोषित करने की मांग
इस दौरान सांसद अरूण भारती ने कहा कि घाट कुसुंभा प्रखंड के सभी गांव को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित करने की जरूरत है. लेकिन बिहार सरकार ने अब तक ऐसा नहीं किया. जो सरासर गलत है.
सीएम से भेंट कर रखेंगे अपनी बात
इस मामले को लेकर वो जल्द बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मिलेंगे. साथ ही संसद में इस मुद्दे को उठाएंगे. एक गांव लखीसराय में आता है, तो वहां सरकारी मदद मिलती है क्योंकि वो इलाका बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित है. पर ठीक उसी गांव के सामने एक गांव आता है जो शेखपुरा जिसे में हैं, पर वहां सरकारी राहत नहीं मिलती है.
पानी पर लकीर क्यों ?
बिहार के शेखपुरा जिले का घाट कुसुंभा प्रखंड जिसके दो पंचायत के गांव के लोग बाढ़ के कहर को झेलते हैं, लेकिन मुआवजे के हकदार नहीं है. सरकार की तरफ से उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता, जबकि उनके गांव से कुछ किलोमीटर की दूरी पर लखीसराय जिले की सीमा शुरू हो जाती है, जहां लोगों को बाढ़ आने पर उन्हें सभी सरकारी सुविधा मिल जाती हैं.
पानापुर-घाट कुसुम्भा बने टापू
शेखपुरा जिले को जल जमाव क्षेत्र घोषित किया गया है. हालांकि जब गंगा नदी का पानी पूरे टाल क्षेत्र में फैलनी शुरू होती है, तो पानापुर पंचायत और घाट कुसुम्भा के कई गांव टापू बन जाते हैं. इतना ही नहीं बाढ़ के दौरान उनका संपर्क प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक टूट जाता है.
बता दें कि शेखपुरा जिले के घाट कुसुम्भा प्रखंड से हरोहर नदी बहते हुए लखीसराय जिले में जाकर गंगा नदी से मिलती है. हर बार बरसात के टाइम ही इस नदी में पानी रहता है, बाकी दिनों में पानी नहीं रहता है.
बरसात के टाइम जब गंगा नदी का जलस्तर अपने सीमा रेखा को लांघता है, तब गंगा नदी का जलस्तर वापस पीछे की ओर आना शुरू हो जाता है. जिस कारण गंगा में जाकर मिलने वाली नदी में गंगा से ही पानी नदी में पीछे आने लगता है. गंगा के वाटर लेबल के बराबर होने तक यह नदी उल्टी दिशा में बहती है. जिसके चलते आसपास के गांव प्रभावित हो जाते हैं.
इतना ज्यादा पानी आने के कारण शेखपुरा, मोकामा के साथ नालंदा का टाल क्षेत्र पूरी तरह से डूब जाता है. इस कारण शेखपुरा जिले के घाट कुसुम्भा प्रखंड का कई गांव टापू में तब्दील हो जाता है. इस बार भी ये इलाका पूरा डूबा हुआ है.
पर बिहार सरकार ने अभी तक इलाके को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित नहीं किया है. जिसकी वजह से सरकारी मदद उस रूप में नहीं पहुंच पा रही है. जिस रूप में पहुंचनी चाहिए. पानी का बहाव ज्यादा होने के कारण शेखपुरा के घाट कुसुम्भा प्रखंड के पानापुर, जितवारपुर, कोयला, मोरवरिया, एजनीघाटज़, भदोसी, घाटकुसुम्भा सहित अन्य गांव पूरी तरह से डूबे हैं.
रिपोर्ट – देवांशु प्रभात