मुआवजा वसूली नोटिस पर रोक से इंकार: कोर्ट ने माना- जानकारी छिपाकर लिया गया था अवार्ड, याचिका खारिज

Patna - पटना ने आज एक कड़ा निर्णय दिया, जिसमें जस्टिस राजीव रॉय ने मुनेश्वर प्रसाद द्वारा दायर एक रिट याचिका को रद्द कर दिया।साथ ही कोर्ट ने अधिकारियों के समक्ष तथ्यों को दबाने के लिए याचिकाकर्ता पर हरजाना (लागत) लगाया।

यह मामला भूमि अधिग्रहण अवार्ड की राशि की वसूली के लिए जारी एक नोटिस को चुनौती देने पर केंद्रित था।इसमें  तथ्यों को दबाकर प्राप्त किया गया था। सरकारी वकील प्रशांत प्रताप ने जिला मजिस्ट्रेट के नोटिस का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता ने टाइटल सूट लंबित होने की जानकारी को दबाकर अवार्ड प्राप्त किया था, जिसका याचिकाकर्ता ने यहां खंडन नहीं किया है।

सरकारी वकील प्रशांत प्रताप ने ज़ोर देकर कहा कि न्यायालय, न्यायाधिकरण या प्राधिकारी के साथ धोखाधड़ी करके प्राप्त किया गया कोई भी फैसला, डिक्री, अवार्ड या आदेश कानून की नज़र में शून्य व अमान्य होता है। इसलिए वर्तमान याचिका रद्द किए जाने योग्य है।

हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील धर्मेंद्र कुमार सिन्हा ने तर्क दिया था कि भूमि अधिग्रहण अधिकारी के पास अवार्ड राशि की वसूली के लिए नोटिस जारी करने का अधिकार क्षेत्र नहीं था।

कोर्ट द्वारा पांच हजार रुपये के हर्जाने के साथ याचिका को रद्द करना,कोर्ट के उस कड़े रुख को पुष्ट करता है कि जो याचिकाकर्ता सही ढंग से तथ्यों को प्रस्तुत न करते हुए कोर्ट के समक्ष आते है ।    साथ ही न्यायिक प्रक्रियाओं का दुरुपयोग करने का प्रयास करते हैं।