Hospital bacteria: अस्पतालों में छिपे बैक्टीरिया से सावधान, हॉस्पीटल का बैक्टीरिया मरीजों की त्वचा को कर सकता है प्रभावित

Hospital bacteria:अस्पतालों में मिलने वाले बैक्टीरिया अब सिर्फ मरीजों को परेशान नहीं कर रहे, बल्कि उनकी त्वचा को भी गंभीर नुकसान पहुँचा रहे हैं।

Hospital bacteria:अस्पतालों में मिलने वाले बैक्टीरिया अब सिर्फ मरीजों को परेशान नहीं कर रहे, बल्कि उनकी त्वचा को भी गंभीर नुकसान पहुँचा रहे हैं। गोरखपुर एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के ताज़ा शोध में यह खुलासा हुआ है कि स्किन एंड सॉफ्ट टिश्यू इन्फेक्शन (एसएसटीआईएस) से ग्रसित करीब 61 प्रतिशत मरीजों में एस्केप समूह के खतरनाक बैक्टीरिया पाए गए हैं।

एम्स के शोध में शामिल डॉ. अरुप मोहंती ने बताया कि 20 से 80 वर्ष तक के 2300 मरीजों के नमूने लिए गए। इन नमूनों में से 1311 की कल्चर जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई और इन्हें शोध में शामिल किया गया। इनकी जांच के बाद पाया गया कि 808 मरीजों में एस्केप समूह के बैक्टीरिया मौजूद थे।

खतरनाक बैक्टीरिया और उनकी दर:स्टैफिलोकोकस ऑरियस: 59.5 प्रतिशत,स्यूडोमोनस एरुगिनोसा: 17.8 प्रतिशत,क्लेबसिएला निमोनिया: 11.3 प्रतिशत,एसिनेटोबैक्टर बाउमानी: 8 प्रतिशत,एंटरोबैक्टर: 2.4 प्रतिशत,एंटरोबैक्टर के अन्य सात प्रकार: 0.8 प्रतिशत

डॉ. मोहंती ने बताया कि यह बैक्टीरिया आम तौर पर अस्पतालों में पाए जाते हैं और नोसोकोमियल संक्रमण के लिए जिम्मेदार होते हैं। यही कारण है कि सामान्य एंटीबायोटिक इन मरीजों पर असर नहीं कर रहा था। शोध के दौरान ऐसे मरीजों का इलाज एडवांस एंटीबायोटिक की मदद से किया गया, जिससे उनकी बीमारी पर काबू पाया गया।

एम्स की कार्यकारी निदेशक डॉ. विभा दत्ता ने इस शोध की सराहना करते हुए कहा, “एम्स की टीम लगातार गंभीर बीमारियों पर शोध कर रही है। इससे महत्वपूर्ण जानकारियां मिल रही हैं, जो गंभीर मरीजों के बेहतर इलाज में मदद कर रही हैं। माइक्रोबायोलॉजी विभाग का यह शोध काफी अहम है। पूरी टीम को बधाई।”

विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पतालों में यह बैक्टीरिया अक्सर ओपीडी और इनडोर वार्ड में फैलते हैं। इसका मतलब है कि मरीजों के लिए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। नियमित हाथ धोना, साफ-सफाई और संक्रमण रोकने के लिए अस्पताल में उचित सैनेटाइजेशन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

शोध से यह भी स्पष्ट हुआ कि त्वचा संक्रमणों में सिर्फ बाहरी उपचार पर्याप्त नहीं है। एस्केप समूह के बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं और सामान्य एंटीबायोटिक इनके खिलाफ काम नहीं करती। इसलिए समय रहते एडवांस उपचार पर ध्यान देना जरूरी है।

एम्स के इस शोध ने न केवल एंटीबायोटिक प्रतिरोध की चुनौती को उजागर किया है, बल्कि अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण की दिशा में भी नई राह दिखाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के शोध मरीजों के लिए जीवन रक्षक साबित होते हैं और भविष्य में गंभीर संक्रमणों से बचाव में मददगार होंगे।