India pakistan: अफवाएँ नहीं, हकीकत, पाकिस्तान फ़ौज बोली- भारत से युद्ध हुआ तो होगी तबाही, भारतीय आर्मी चीफ ने पूछा नक्शे पर रहना है या नहीं
पाकिस्तानी सैन्य मीडिया विंग ISPR ने 4 अक्टूबर 2025 को सार्वजनिक बयान जारी कर कहा कि यदि दोनों देशों के बीच किसी नए दौर की शत्रुता शुरू हुई तो उसका परिणाम ‘विनाशकारी तबाही’ होगा ...

India pakistan: पाकिस्तानी सैन्य मीडिया विंग ISPR ने 4 अक्टूबर 2025 को सार्वजनिक बयान जारी कर कहा कि भारत की ओर से आए “भड़काऊ और जंग को बढ़ावा देने वाले” बयानों के मद्देनज़र यदि दोनों देशों के बीच किसी नए दौर की शत्रुता शुरू हुई तो उसका परिणाम ‘विनाशकारी तबाही’ होगा और पाकिस्तान “पीछे नहीं हटेगा”। उसका जवाब तेज़, निर्णायक और विनाशकारी होगा। ISPR ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने अब जवाब देने का एक नया‑नॉर्मल स्थापित कर दिया है।
इस प्रतिक्रिया की पृष्ठभूमि में भारतीय सैन्य नेतृत्व के हालिया कड़े बयानों का महत्व है। भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी (3 अक्टूबर 2025) ने कहा कि ऑपरेशन “सिन्दूर 1.0” में दिखाई गई सहनशीलता अब नहीं रखी जाएगी और अगर पाकिस्तान ने आतंकवाद का संरक्षण जारी रखा तो भारत आगे की कार्रवाई में सख्ती दिखाएगा बयान में यह भी कहा गया कि पाकिस्तान को “भूगोल में रहना है या नहीं” यह सोचने की जरूरत पड़ेगी।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने भी 3 अक्टूबर को दावा किया कि ऑपरेशन सिन्डूर के दौरान पाकिस्तान के करीब 12–13 विमान नष्ट किए गए थे, जिसमें फाइटर जेट और कुछ परिवहन विमान शामिल रहे इस तरह के सैन्य दावे दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ाने वाले तत्व बने हुए हैं।
पाकिस्तानी बयान में यह भी कहा गया है कि ऐसे भड़काऊ बयानों से दक्षिण एशिया की शांति और स्थिरता को गंभीर खतरा है और नया‑नॉर्मल स्थापित करने की भारतीय प्रवृत्ति क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ा सकती है। ISPR ने साथ ही बताया कि यदि टकराव हुआ तो पाकिस्तान “भौगोलिक सुरक्षा की गलतफहमी को तोड़ेगा” और दुश्मन के दूरदराज हिस्सों तक जवाब ले जाने की क्षमता और संकल्प रखता है।
हालिया बयानबाज़ी ने दोनों देशों की कूटनीतिक और सैन्य‑सेंसर को तीखा कर दिया है। सार्वजनिक रूप से दिए गए कड़े सैन्य दावों (जैसे विमान खसाने के आँकड़े) और जवाबी चेतावनियों का असर‑क्षेत्र है: राजनयिक गतिरोध तेज होना, मीडिया‑वॉल्टेज बढ़ना और क्षेत्रीय खिलाड़ियों के लिए अनिश्चितता का बढ़ना। कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टें भी इन घटनाक्रमों को ‘टकराव की आशंका’ के रूप में कवर कर रही हैं।
3–4 अक्टूबर 2025 के इन बयानों ने दो परमाणु‑शक्तियों के बीच राजनीतिक‑सैन्य शब्दावली को और तीखा किया है; अब कूटनीतिक चैनलों, सैन्य‑कम्युनिकेशन और तटस्थ माध्यमों के ज़रिये तनाव कम करना और मिसइन्फॉर्मेशन प्रोपेगैंडा को नियंत्रित रखना अहम होगा।