Bihar News: धान के खेल में बड़ा घोटाला! गोदाम से ‘गायब’ 86 हजार टन अनाज, पैक्सों पर निबंधक ने कसा शिकंजा
Bihar News: बिहार के धान घोटाले में अब सहकारिता विभाग की सख्त नजर है। ...
Bihar News: बिहार के धान घोटाले में अब सहकारिता विभाग की सख्त नजर है। रजिस्ट्रार, सहयोग समितियाँ अंशुल अग्रवाल ने 12 जिलों में "अनाज के गबन और गड़बड़ी" के खुलासे के बाद संबंधित डीसीओ और सहकारिता प्रसार पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का हुक्मनामा जारी किया है। अपराध की यह खामोश स्कीम अब बेनकाब होती नजर आ रही है।
जांच में सामने आया कि जिन गोदामों में 7 लाख 21 हजार 234 एमटी धान होना चाहिए था, वहां सिर्फ 6 लाख 35 हजार 152 एमटी धान ही मिला। यानी लगभग 86 हज़ार एमटी धान 'गायब' है। ये धान कोई खा तो गया नहीं, साफ है कि आपराधिक मिलीभगत से गोलमाल किया गया है।
जिन जिलों में ये घोटाला सामने आया है, उनमें पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, चंपारण, बेगूसराय, मधेपुरा, सीतामढ़ी, मुंगेर, नालंदा, अररिया जैसे जिले शामिल हैं। जांच दल जब मौके पर पहुंचा तो कई समितियों के गोदाम बंद मिले, और कुछ में मिलिंग के नाम पर धान गायब मिला। कई जगह धान के बैग तक नहीं मिले। यानी गुनाह को छिपाने की तैयारी पहले से थी।
आरोप है कि कई पैक्सों ने नियमानुसार सीएमआर चावल जमा करने के बजाय धान को बिना हिसाब किताब के राइस मिलरों को ट्रांसफर कर दिया। यह खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की गाइडलाइन के साफ उल्लंघन का मामला है।अब न सिर्फ इन समितियों पर डिफाल्टर होने का खतरा है, बल्कि रजिस्ट्रार ने भी आपराधिक कार्रवाई की तैयारी कर ली है। अगर 31 अगस्त तक चावल जमा नहीं किया गया, तो 1500 करोड़ की सरकारी राशि समितियों को नहीं मिलेगी। यानी पहले धान घोटाला, अब वित्तीय संकट—पैक्स दोहरी मार झेलने को तैयार रहे।
सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ लापरवाही है या एक सोची-समझी साजिश? क्या राइस मिलरों और अधिकारियों की मिलीभगत से ये घोटाला हुआ? और सबसे अहम—क्या अब दोषियों पर FIR होगी या मामला फिर फाइलों में दफ्न हो जाएगा?सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार ने भी केंद्र को पत्र लिखकर मामले की गंभीरता से जांच की मांग की है। अब देखना होगा, क्या इस अनाज माफिया के नेटवर्क पर सरकार की सख्ती चलती है या फिर यह भी राजनीतिक संरक्षण की छांव में सड़ता रहेगा।