Bihar Assembly election 2025: चुनाव शुरू होने से पहले दल बदलने का गेम स्टार्ट, JDU को लगा तगड़ा झटका, इस नेता ने थामा RJD का हाथ, क्या करेंगे नीतीश कुमार
जदयू के पूर्व प्रत्याशी संजय चौहान ने राजद का दामन थाम लिया है। वहीं, भाजपा ने तेजस्वी यादव पर तीखा कटाक्ष करते हुए उन्हें 'चोर बोले जोर से' की संज्ञा दी। जानिए बिहार की राजनीति का नया मोड़।
Bihar Assembly election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इस बीच बिहार में रविवार को एक बड़ा मामला देखने को मिला। कोसी स्नातक क्षेत्र से जदयू के पूर्व प्रत्याशी संजय चौहान ने अपने समर्थकों के साथ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की सदस्यता ग्रहण की।
राजद प्रदेश कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह की अध्यक्षता प्रदेश प्रधान महासचिव रणविजय साहू ने की। कार्यक्रम में भूदेव चौधरी, बीमा भारती, एजाज अहमद जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद थे।जयप्रकाश नारायण यादव (पूर्व केंद्रीय मंत्री) ने कहा कि “राजद का उद्देश्य सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई को और मजबूती देना है।” आलोक कुमार मेहता (पूर्व मंत्री) ने कहा कि “हमें सत्ता के लिए विद्वेष फैलाने वाली शक्तियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना है।”
लोकतंत्र को कमजोर करने का षड्यंत्र-रणविजय साहू
रणविजय साहू ने आरोप लगाया कि “संविधान और लोकतंत्र को कमजोर करने का षड्यंत्र चल रहा है और उसे विफल करना राजद की प्राथमिकता है।”इस समारोह ने राजद को कोसी क्षेत्र में एक स्थानीय, मजबूत चेहरा देने का प्रयास किया है, खासकर स्नातक मतदाताओं के बीच।
भाजपा का जवाबी हमला: तेजस्वी यादव पर तीखे तंज
इस बीच भाजपा की ओर से प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने तेजस्वी यादव पर सीधे और कटाक्षपूर्ण शब्दों में हमला बोला। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को लगता है कि हरा कपड़ा पहनने से सावन आ जाता है और काला साफा बांधने से रात होती है।”तेजस्वी और उनके राजनीतिक गुरु के हो-हल्ला करने से सरकार की नीतियां नहीं बदलतीं।एनडीए सरकार की प्राथमिकता पिछड़ा-अतिपिछड़ा को उनका हक दिलाना है, चाहे वह जाति जनगणना के जरिए हो या किसी अन्य माध्यम से। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि तेजस्वी लालू यादव को भी 'हाईजैक' करके बैठे हैं, और लालू को “एक-एक शब्द बोलने के लिए अपने बेटे से अनुमति लेनी पड़ती है।”
'चोर बोले जोर से' जैसी स्थिति में हैं तेजस्वी: BJP
प्रभाकर ने तेजस्वी यादव की स्थिति को 'चोर बोले जोर से' कहावत से जोड़ा और कहा कि वे दूसरों पर बेतुके आरोप लगाकर लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं। उनका खुद का राजनीतिक आधार भ्रष्टाचार की जमीन पर खड़ा है।”यह बयान सीधे तौर पर राजद और तेजस्वी की नैतिकता पर सवाल उठाता है, जो बिहार की आगामी राजनीतिक रणनीतियों को और अधिक आक्रामक बना सकता है।