Bihar cyber fraud: ये क्या गोलमाल है भाई! हाजीपुर में साइबर अपराधियों के पास मिले मनरेगा योजना से जुड़ी 35 अहम फाइल, प्रशासनिक महकमे में मचा हड़कंप

Bihar cyber fraud: मनरेगा से संबंधित दस्तावेजों की बरामदगी के बाद जिला प्रशासन में हलचल तेज हो गई है।

Bihar cyber fraud: ये क्या गोलमाल है भाई! हाजीपुर में साइबर अपराधियों के पास मिले मनरेगा योजना से जुड़ी 35 अहम फाइल, प्रशासनिक महकमे में  मचा हड़कंप
bihar cyber fraud - फोटो : freepik

Bihar cyber fraud: बिहार के वैशाली जिले के हाजीपुर से आई यह खबर प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा रही है। काजीपुर थाना क्षेत्र के पहेतिया गांव में साइबर थाना की टीम ने छापेमारी कर दो कुख्यात साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास से मनरेगा योजना से संबंधित 35 अहम सरकारी फाइलें बरामद की गई हैं।इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकारी तंत्र में कहीं से साइबर अपराधियों को अंदरूनी जानकारी मिल रही है?

क्या-क्या मिला अपराधियों के पास से?

छापेमारी के दौरान पुलिस को भारी मात्रा में डिजिटल डेटा और दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनमें शामिल हैं:

309 एटीएम कार्ड

234 सिम कार्ड

53 आधार कार्ड की फोटोकॉपी

1 माइक्रो एटीएम डिवाइस

1 फिंगरप्रिंट स्कैनर

4 मोबाइल फोन

1 लैपटॉप

इनके अलावा जो सबसे चौंकाने वाली चीज पुलिस के हाथ लगी, वह थी मनरेगा योजना से जुड़ी 35 फाइलें, जिनमें लाभुकों की जानकारी, कार्य योजना, भुगतान विवरण और संवेदनशील डेटा मौजूद थे।

क्यों बढ़ी प्रशासन की चिंता?

मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) योजना केंद्र सरकार की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना है। इसके दस्तावेजों की साइबर अपराधियों के पास मौजूदगी इस ओर इशारा करती है कि या तो किसी आंतरिक व्यक्ति ने डेटा लीक किया है या फिर सरकारी पोर्टल्स की साइबर सुरक्षा में सेंध लगाई गई है।

अफसरों की भूमिका पर सवाल

जांच अधिकारी डीएसपी चांदनी सुमन और मनरेगा अधिकारियों की संयुक्त प्रेस वार्ता में बताया गया कि अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इतनी संवेदनशील जानकारी अपराधियों तक कैसे पहुंची। यदि किसी सरकारी अधिकारी की संलिप्तता पाई गई, तो उस पर भी कड़ी कार्रवाई होगी। डीडीसी कुंदन कुमार ने बताया कि मनरेगा विभाग को प्रारंभिक जांच का आदेश दिया गया है। जिलाधिकारी से भी इस पर रिपोर्ट मांगी गई है।

जांच और सुरक्षा की दिशा

प्रशासन ने बैंकों से एटीएम कार्डों की जानकारी, आधार डाटा के उपयोग, और सिम कार्ड की जांच के लिए टेलीकॉम कंपनियों से रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही जिलाधिकारी से उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित करने की मांग भी की गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना साइबर अपराध के बढ़ते स्वरूप और सरकारी सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करती है। यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए तो यह प्रवृत्ति अन्य योजनाओं और सेवाओं को भी प्रभावित कर सकती है।

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