Bihar elections: बिहार के पहाड़ी इलाकों में पहली बार पड़ेगा वोट! जहां कभी गूंजती थी गोलियों की आवाज, अब सुनाई देगी लोकतंत्र की गूंज

Bihar elections: बिहार के गया, रोहतास और जमुई जैसे कभी नक्सल प्रभावित इलाकों में पहली बार विधानसभा चुनाव में मतदान होगा। दशकों बाद ये इलाक़े लोकतंत्र की मुख्यधारा में लौट रहे हैं।

पहली बार वोट डालेंगे पहाड़ों के लोग- फोटो : social media

Bihar elections: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 कई मायनों में ऐतिहासिक बन गया है।गया जिले के इमामगंज विधानसभा क्षेत्र और रोहतास जिले के रेहल गांव जैसे इलाकों में जहां कभी नक्सलियों का कब्जा था, अब पहली बार मतदान होने जा रहा है।छकरबंधा थाना क्षेत्र के पिछुलिया और तारचुआ गांवों में भी वोटिंग की तैयारी पूरी हो चुकी है। तारचुआ में 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान पायलट वोटिंग की प्रक्रिया पहले की जा चुकी थी,लेकिन विधानसभा चुनाव में यह पहला वास्तविक मतदान होगा।

नक्सल बेल्ट में बदलाव की नई कहानी

बिहार पुलिस मुख्यालय के अनुसार, इस बार नक्सली इलाकों में एक भी मतदान केंद्र को स्थानांतरित नहीं किया गया।पहले जहां बूथ शिफ्टिंग और मतदान बहिष्कार की धमकियाँ आम थीं,अब वही गांव लोकतंत्र के पर्व में हिस्सा लेने के लिए उत्साहित हैं।पहाड़ियों में तैनात सुरक्षा बल अब मतपेटियों की रक्षा कर रहे हैं और ग्रामीण पूरे भरोसे के साथ अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने को तैयार हैं।

जमुई के चोरमारा गांव में लोकतंत्र की दस्तक

जमुई जिले के बरहट थाना क्षेत्र का चोरमारा गांव,जो कभी माओवादी गतिविधियों का केंद्र था, अब मतदान का प्रतीक बन चुका है।  इस बार यहां 1011 मतदाता अपने मूल बूथ पर वोट डालेंगे। यही वह इलाका है जहां 2007 में माओवादियों की 9वीं कांग्रेस हुई थी, जिसमें गणपति, प्रशांत बोस और किशन दा जैसे शीर्ष नेता शामिल हुए थे। अब वही इलाका शांति और लोकतंत्र का उदाहरण बन गया है।

2022 के बाद शुरू हुआ निर्णायक ऑपरेशन

राज्य और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों से2022 में जमुई के चोरमारा और मुंगेर के पैसरा में केंद्रीय बलों के कैंप स्थापित किए गए। इसके बाद से इन क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियां लगभग समाप्त हो गईं।2022 में शीर्ष नक्सली कमांडर अर्जुन कोड़ा, बालेश्वर कोड़ा और नागेश्वर कोड़ा ने आत्मसमर्पण किया।2023 में कुख्यात सूरज मुर्मु ने भी हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में वापसी की।