Ritlal Yadav Profile: दानापुर के बाहुबली विधायक रीतलाल यादव! सड़कों से सत्ता के गलियारों तक का सफर, पढ़ें रंगदारी, राजनीति और रसूख की पूरी कहानी
बिहार के चर्चित बाहुबली विधायक रीतलाल यादव ने रंगदारी के मामले में दानापुर कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। जानिए कैसे एक अपराधी से सत्ता के गलियारों तक उनका सफर बना और अब एक बार फिर जेल की हवा खानी पड़ी।

Ritlal Yadav Profile: दानापुर कोर्ट में गुरुवार की सुबह जो दृश्य सामने आया, उसने बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचा दी। बाहुबली विधायक रीतलाल यादव ने कोर्ट में सरेंडर किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने एक प्रसिद्ध बिल्डर से रंगदारी मांगी और जान से मारने की धमकी दी। कोर्ट ने उन्हें सीधे बेऊर जेल भेजने का आदेश दिया, और चौंकाने वाली बात यह रही कि अब तक उनकी ओर से जमानत की कोई अर्जी दाखिल नहीं की गई है।इस घटना ने एक बार फिर ‘बाहुबली राजनीति’ की परछाइयों को उजागर कर दिया है, जो कभी बिहार की सियासी पहचान हुआ करती थी।
अपराध से राजनीति तक: रीतलाल यादव की कहानी
कोथावां गांव से निकलकर दानापुर की सड़कों तक रीतलाल यादव का नाम पहली बार 90 के दशक में उभरा, जब वह स्टेशन रोड पर छीना-झपटी और बाइक चोरी जैसे मामलों में संलिप्त पाए गए। उस दौर में जब जातिगत दबदबे के बीच यादवों का उदय हो रहा था, रीतलाल ने खुद को एक दबंग चेहरे के तौर पर स्थापित कर लिया।स्थानीय ज़मीन विवादों और जबरन वसूली में नाम आने के बाद उनकी पकड़ इतनी मजबूत हो गई कि कोई भी निर्माण कार्य उनकी ‘मर्जी’ के बिना संभव नहीं होता था।
आरपीएस कॉलेज और राजनीति की दहलीज़
दानापुर के प्रसिद्ध आरपीएस कॉलेज के मालिक आरपी शर्मा के साथ गठजोड़ रीतलाल की ज़िंदगी का टर्निंग पॉइंट बना। स्थानीय किसानों पर दबाव डालकर जमीन दिलवाना और बदले में मोटी रकम पाना – यहीं से उन्होंने ‘सिस्टम’ को अपने तरीके से मोड़ना शुरू किया।2000 के दशक के बाद उन्होंने राजनीति में पैर जमाना शुरू किया और लालू यादव से नजदीकी बढ़ाई। 2016 में निर्दलीय एमएलसी बने और फिर 2020 में आरजेडी के टिकट पर विधायक चुने गए।
आरजेडी का ‘मददगार’ और फाइनेंसर
राजद (RJD) के चुनावी अभियानों में रीतलाल की भूमिका सिर्फ एक नेता की नहीं, एक बड़े फाइनेंसर की भी रही है। बताया जाता है कि तेजस्वी यादव की रैलियों में मंच, वाहन, पोस्टर, प्रचार सामग्री सब में रीतलाल ने अहम योगदान दिया।इससे उनका कद पार्टी के अंदर भी काफी बढ़ा और वे ‘विश्वासपात्र’ नेताओं की सूची में आ गए।
रेलवे टेंडर और बाहरी राज्यों में पकड़
पिछले कुछ वर्षों में रीतलाल ने अपनी ठेकेदारी और दबदबे को बिहार से बाहर भी फैलाया। समस्तीपुर से लेकर गुवाहाटी और गोरखपुर तक रेलवे के टेंडर और निर्माण कार्यों में उनकी सीधी या परोक्ष भूमिका बताई जाती है। हुलास पांडे और सूरजभान सिंह जैसे चर्चित नामों से नजदीकी ने उनके रसूख को और मजबूत कर दिया।
विवादों की लंबी फेहरिस्त
चाहे कॉन्ट्रैक्टर की हत्या हो, घाट पर विरोधी की मौत या ठेके में जबरन वसूली, रीतलाल का नाम हमेशा जुड़ता रहा है। अब तक उनके खिलाफ कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज हो चुके हैं, और अब बिल्डर से रंगदारी मांगने का मामला उनके पुराने चरित्र की पुनरावृत्ति जैसा लगता है।
क्या ये मामला आरजेडी पर भारी पड़ेगा?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आरजेडी एक तरफ खुद को ‘नई पीढ़ी की पार्टी’ के रूप में स्थापित करना चाहती है, वहीं रीतलाल जैसे नेता उसकी छवि को ‘जंगलराज’ की ओर मोड़ सकते हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में यह छवि का संकट आरजेडी को नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर शहरी मतदाताओं और युवाओं के बीच।
रीतलाल की कहानी
दानापुर की गलियों से लेकर बेऊर जेल तक रीतलाल यादव का सफर सिर्फ एक बाहुबली नेता की कहानी नहीं है। यह बिहार की उस राजनीति का आईना है, जहां सत्ता, बाहुबल और पैसा एक तिकोना बनाते हैं। यह घटना फिर साबित करती है कि बिहार की राजनीति में अपराध और रसूख की जड़ें अभी भी कितनी गहरी हैं।