आपातकाल को याद कर इंदिरा गांधी और कांग्रेस पर बरसे सीएम नीतीश, बिहार को लेकर किया बड़ा ऐलान

25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और कांग्रेस सरकार द्वारा लागू आपातकाल को याद कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया है.

CM Nitish on Emergency - फोटो : news4nation

Nitish Kumar: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपातकाल को याद कर बुधवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और कांग्रेस सरकार की इमरजेंसी लगाने को भारत के लोकतंत्र के लिए काला दिन बताते हुए कई अहम बातें कही हैं. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, '25 जून, 1975 का वो दिन हम सभी को याद है, जब देश में आपातकाल लागू हुआ था। इसे स्वतंत्र भारत के इतिहास का काला दिन कहा जाता है। साल 1975 का आपातकाल तत्कालीन सरकार की तानाशाही का प्रतीक था। आपातकाल में जनता की अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी लगा दी गई थी।


सीएम नीतीश ने कहा, आपातकाल के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने आंदोलन शुरू किया। मैंने भी अपने कई साथियों के साथ इस आंदोलन में भाग लिया तथा आपातकाल का सक्रिय विरोध किया। हम सभी साथियों को तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जेल में बंद कर दिया गया। लेकिन, देशवासियों ने एकता और साहस का परिचय दिया। एकजुट होकर हमने लड़ाई लड़ी। 


उन्होंने कहा कि आप सभी को पता है कि लोकतंत्र के मूल में जनता की आवाज होती है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम हर परिस्थिति में उसकी रक्षा करें। बिहार ने हमेशा संविधान, न्याय, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय की भावना को अपने विकास का मार्ग बनाया है। हमारा यह संकल्प रहे कि हम संविधान के आदर्शों की रक्षा के लिए सदैव सजग एवं तत्पर रहेंगे।


1975 का आपातकाल

(25 जून 1975 – 21 मार्च 1977 तक आपातकाल लागू हुआ था. यह भारत के लोकतांत्रिक इतिहास की सबसे विवादास्पद घटनाओं में से एक है। देश में आपातकाल लगाने का कारण तब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित करना माना गया. देश में राजनीतिक अस्थिरता और विपक्ष के बढ़ता दबाव के बीच आपातकाल में कई प्रकार की दमनकारी नीतियां लगाई गई. 


इसमें नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, प्रेस पर सेंसरशिप लगाई गई. विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी हुई और सरकार ने संविधान में कई बदलाव किए. आपातकाल के बाद 1977 में आम चुनाव हुए, और इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार हार गई। यह लोकतंत्र की बहाली और जनता के अधिकारों की जीत मानी गई। उस दौरान जेपी के आंदोलन से जुड़े बिहार के कई छात्र नेताओं ने बाद में राज्य की राजनीति में शीर्ष मुकाम को छुआ जिसमें नीतीश कुमार का नाम भी शामिल है.