डायल-112 सेवा के ड्राइवरों ने खोला मोर्चा, पटना में तिरंगा लेकर काटा बवाल - 'बिहार सरकार होश में आओ, बिहार सरकार शर्म करो'
अपनी विभिन्न लंबित मांगों को लेकर मंगलवार को पटना में डायल-112 सेवा के ड्राइवरों ने नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.
Dial-112 : राजधानी पटना में मंगलवार को भारी बवाल देखने को मिल रहा है। एक ओर जहां टीआरई-4 के अभ्यर्थी अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर डायल 112 के ड्राइवरों का हंगामा जारी है। दरअसल, डायल-112 सेवा से जुड़े पूर्व सैनिक मंगलवार को राजधानी की सड़कों पर उतर आए। गर्दनीबाग से कारगिल चौक तक मार्च करते हुए उन्होंने हाथों में तिरंगा लेकर 'बिहार सरकार होश में आओ, बिहार सरकार शर्म करो' जैसे नारे लगाए। पिछले नौ दिनों से ड्राइवर हड़ताल पर हैं।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष चन्दन कुमार ने बताया कि आंदोलन को पूरे बिहार से समर्थन मिल रहा है। विभिन्न जिलों से पूर्व सैनिक पटना पहुंचे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि बुधवार से पूरे राज्य में काम का बहिष्कार किया जाएगा और कोई भी ड्राइवर ड्यूटी पर नहीं जाएगा। चन्दन कुमार और उपाध्यक्ष धीरज कुमार यादव ने बताया कि ड्राइवरों की नियुक्ति 25 हजार रुपये वेतन पर हुई थी, लेकिन अब तक केवल 750 रुपये की वृद्धि हुई है।
12-12 घंटे ड्यूटी करने पर मजबूर
बहाली के समय यह भी आश्वासन दिया गया था कि ड्यूटी घर से 10 से 15 किलोमीटर के दायरे में मिलेगी, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। ड्राइवरों का आरोप है कि साप्ताहिक अवकाश और बीमा की सुविधा देने का वादा भी पूरा नहीं हुआ। छुट्टी मिलने पर भी थानों से रिलीवर नहीं मिलता। महिलाओं को 12-12 घंटे ड्यूटी करने पर मजबूर किया जा रहा है। कई बार वे छोटे बच्चों को साथ लेकर ड्यूटी करती हैं।
प्रमुख मांग
ड्राइवरों की प्रमुख मांगों में पहचान पत्र और नियुक्ति पत्र उपलब्ध कराया जाए। तबादला भत्ता दिया जाए और तबादला म्यूचुअल हो। समान काम के बदले समान वेतन मिले। साप्ताहिक अवकाश लागू किया जाए। चालक संघ को संगठन बनाने की अनुमति दी जाए। राज्यकर्मी का दर्जा मिले और अन्य राज्यों की तर्ज पर वेतनमान तय हो। साथ ही तबादला फिलहाल स्थगित किया जाए।
कर्मचारियों को मिले वेलफेयर का लाभ
जानकारी के अनुसार, 21 जनवरी 2022 को डायल-112 को प्रभावी बनाने के लिए एग्रीमेंट के आधार पर पूर्व सैनिकों की बहाली की गई थी। तब से अब तक 15 जवानों की मृत्यु हो चुकी है। संगठन का कहना है कि न तो मृतकों के परिजनों को कोई सुविधा दी गई और न ही कर्मचारियों को वेलफेयर का लाभ मिल सका है।