Bihar election 2025: नवादा की मतदाता सूची में बड़े बदलाव, जेनरेशन Z बनेगा किंगमेकर, जानें वोटर लिस्ट का हाल

Bihar election 2025: चुनाव आयोग ने बिहार की अंतिम मतदाता सूची जारी की। नवादा में 95,959 नाम हटे और 30,491 नए मतदाता जुड़े। जेनरेशन Z के 3.64 लाख वोटर इस बार चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।

नवादा की मतदाता सूची में बड़े बदलाव- फोटो : social media

Bihar election 2025: चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पूरी करने के बाद बिहार की अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की है। इस प्रक्रिया के दौरान 95,959 मतदाताओं के नाम हटाए गए। 30,491 नए नाम जोड़े गए। इनमें ज़्यादातर पहली बार वोट डालने वाले युवा मतदाता हैं। राजनीतिक रूप से अहम जिले नवादा में इस बदलाव का सबसे बड़ा असर देखने को मिला है।

जेनरेशन Z के हाथ में फैसला

नवादा की नई मतदाता सूची के अनुसार कुल 17.16 लाख मतदाता हैं।इनमें से 3.64 लाख मतदाता 18 से 30 वर्ष की उम्र के हैं।यानी, लगभग हर पांचवां वोटर जेनरेशन Z से जुड़ा है।ये युवा मतदाता भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था और शिक्षा जैसे मुद्दों पर मुखर रहते हैं और जाति-धर्म जैसे पारंपरिक राजनीतिक समीकरणों से काफी हद तक अलग सोच रखते हैं।

विपक्ष का आरोप और विवाद

एसआईआर प्रक्रिया के दौरान विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया कि हाशिये पर खड़े समूहों के नाम जानबूझकर हटाए गए।हालांकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि प्रक्रिया पूरी तरह संवैधानिक और पारदर्शी रही है।जिला निर्वाचन अधिकारी रवि प्रकाश ने बताया कि 1 अगस्त को जारी मसौदे में ही लगभग 1.26 लाख नाम हटाए गए थे और बाद में संशोधित सूची तैयार की गई।

युवा वोटरों की बदलती भूमिका

राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बार युवा मतदाता चुनावी परिणाम तय करने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।युवाओं पर सोशल मीडिया और नए मीडिया का बड़ा प्रभाव है।वे रोजगार, शिक्षा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर संवेदनशील रहते हैं।अगर पार्टियां उनके मुद्दों पर ध्यान नहीं देंगी, तो वे चुनावी समीकरण पलट सकते हैं।

सियासी दलों में हलचल

नवादा की नई मतदाता सूची ने आरजेडी समेत कई सियासी दलों की चिंता बढ़ा दी है। जहां नीतीश सरकार महिलाओं के लिए योजनाओं पर जोर दे रही है, वहीं युवाओं को लेकर अभी भी कई पार्टियों की रणनीति अस्पष्ट है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर राजनीतिक दलों ने युवाओं की प्राथमिकताओं को नज़रअंदाज़ किया, तो इस बार जेनरेशन Z चुनाव का "गेमचेंजर" साबित हो सकती है।