बिना सफर किए खाली हो रहा फास्टैग! पटना और रोहतास में खड़ी गाड़ियों का यूपी-झारखंड में कटा टैक्स

देशभर में फास्टैग (FASTag) से जुड़ा एक नया और चौंकाने वाला स्कैम सामने आया है। घर के दरवाजे पर खड़ी गाड़ियों का सैकड़ों किलोमीटर दूर टोल टैक्स कट रहा है, जिससे वाहन मालिकों में हड़कंप मचा हुआ है।

बिना सफर किए खाली हो रहा फास्टैग! पटना और रोहतास में खड़ी गाड़ियों का यूपी-झारखंड में कटा टैक्स- फोटो : NEWS 4 NATION

देश में डिजिटल टोल भुगतान प्रणाली 'फास्टैग' अब सुरक्षा और सटीकता के घेरे में है। बिहार और झारखंड के वाहन मालिकों के साथ ठगी के ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां उनकी गाड़ियां घर या वर्कशॉप में खड़ी थीं, लेकिन उनके मोबाइल पर सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित टोल प्लाजा से पैसे कटने के मैसेज आए। पटना, मथुरा और रोहतास के तीन अलग-अलग मामलों ने इस सिस्टम की पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।


मथुरा से जमशेदपुर तक फैला 'गलत कटौती' का जाल

रांची के सिविल इंजीनियर प्रभाकर की कार मथुरा के एक वर्कशॉप में ठीक हो रही थी, लेकिन उनका टोल गोरखपुर के पास काट लिया गया। वहीं, पटना के सिद्धार्थ कौशल की कार घर के बाहर खड़ी थी, पर उनका टोल पड़ोसी राज्य झारखंड के जमशेदपुर में कटा। रोहतास के अभय रंजन के साथ भी ऐसा ही हुआ, जिनकी गाड़ी कभी रांची नहीं गई, फिर भी उनके अकाउंट से पुंदाग टोल प्लाजा पर पैसे काट लिए गए।

टोल कर्मचारियों की मिलीभगत या 'मैनुअल फीडिंग' का खेल?

इस स्कैम के पीछे की तकनीकी वजह बेहद चौंकाने वाली है। जानकारों के अनुसार, टोल प्लाजा पर कुछ लेन 'मैनुअल ऑपरेशन' के लिए होती हैं, जहाँ कर्मचारी हाथ से गाड़ी का नंबर सिस्टम में दर्ज करते हैं। यदि कर्मचारी जानबूझकर या गलती से किसी अन्य वाहन का नंबर डाल दे, तो घर बैठे व्यक्ति के अकाउंट से पैसे कट जाते हैं। रोहतास के अभय रंजन ने आरोप लगाया कि कोइलवर टोल पर एक कर्मचारी से बहस के बाद उन्हें "सबक सिखाने" की धमकी दी गई थी, जिसके बाद यह कटौती हुई।

NHAI की चुप्पी और रिफंड की समस्या

इन घटनाओं पर NHAI (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के क्षेत्रीय अधिकारियों ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है। पीड़ित वाहन मालिकों का कहना है कि उन्होंने हेल्पलाइन नंबर 1033 पर शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी न तो कोई ठोस कार्रवाई हुई और न ही उनका पैसा रिफंड किया गया। यह स्थिति दर्शाती है कि फास्टैग प्रणाली में मानवीय हस्तक्षेप के कारण आम आदमी की जेब पर डाका डाला जा रहा है।