Bihar Voter List: आम आदमी तो छोड़िए बिहार के पूर्व IAS और उनकी पत्नी का वोटर लिस्ट से कटा नाम, SIR पर उठे बड़े सवाल

Bihar Voter List: बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के पहले चरण का ड्राफ्ट लिस्ट जारी हो गया है। लिस्ट जारी होने के बाद कई गड़बड़ियां सामने आई है। पूर्व आईएएस अधिकारी और उनकी पत्नी का नाम वोट लिस्ट से कट गया है..

वोटर लिस्ट से कटा पूर्व IAS का नाम - फोटो : social media

Bihar Voter List: बिहार में बीते दिन चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट जारी कर दिया। ड्राफ्ट लिस्ट जारी होने के बाद कई गड़बड़ियां सामने आ रही है। आम तो आम अब खास लोगों के भी नाम वोटर लिस्ट से कट गए हैं। हैरान करने वाली बात तो यह है कि बीएलओ को सारी जरुरी दस्तावेज देने के बाद भी ड्राफ्ट लिस्ट में उनका नाम नहीं है। दरअसल, इस बार राज्य के पूर्व आईएएस अधिकारी और उनकी पत्नी का नाम ही वोटर लिस्ट से कट गया है। जिसके बाद उन्होंने अपनी नाराजगी जताई है। सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उन्होंने इस बात की जानकारी दी है।   

पूर्व IAS अधिकारी का कटा नाम 

दरअसल,  राज्य के पूर्व वरिष्ठ IAS अधिकारी और सेवानिवृत्त कर्मचारी व्यास जी को मतदाता सूची से अपना और अपनी पत्नी का नाम गायब पाए जाने पर सार्वजनिक मंच से नाराजगी जाहिर करनी पड़ी है। व्यास जी ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए बताया कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने संबंधित बीएलओ को सभी जरूरी दस्तावेज समय से उपलब्ध करा दिए थे, इसके बावजूद इस बार की प्रारूप मतदाता सूची में उनका नाम शामिल नहीं है। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से सूची डाउनलोड करने के बाद जब उन्होंने अपना और अपनी पत्नी का नाम चेक किया तो वहां केवल इतना लिखा मिला"BLO से संपर्क करें"।

पूर्व IAS ने किया कटाक्ष 

उन्होंने कटाक्ष करते हुए लिखा, "गजब तेरी लीला, गजब तेरा खेल… जब गलत लोगों के हाथ में सर्वाधिकार चला जाता है, तो उन्हें मनमानी करने से कौन रोकेगा?" व्यास जी ने कहा कि प्रशासन में वर्षों की सेवा देने के बावजूद उन्हें यह अनुभव करना पड़ रहा है, तो आम नागरिकों और प्रवासी मजदूरों के साथ क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।

लोकसभा चुनाव में डाला था वोट अब नाम नहीं 

व्यास जी ने यह भी याद दिलाया कि उन्होंने हाल ही में संपन्न हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदान किया था। ऐसे में उनके और उनकी पत्नी का नाम अचानक मतदाता सूची से कैसे गायब हो गया, यह गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब पढ़े-लिखे और जागरूक नागरिकों को ही इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो अनपढ़ और ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा कैसे होगी?

निर्वाचन आयोग पर उठे गंभीर सवाल

पूर्व अधिकारी ने निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए EPIC नंबर को मान्य दस्तावेजों की सूची में शामिल नहीं किए जाने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई सिफारिशों के बावजूद आयोग इस दिशा में कोई गंभीर पहल नहीं कर रहा है। उनका यह बयान न केवल सिस्टम की खामियों को उजागर करता है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि मतदाता सूची में सुधार की प्रक्रिया कितनी त्रुटिपूर्ण और लचर है।

क्या होगी सुधार की पहल?

व्यास जी की यह सार्वजनिक टिप्पणी अब निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली और बीएलओ की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर रही है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि संबंधित अधिकारी इस शिकायत पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और नाम जोड़ने की प्रक्रिया में कोई ठोस सुधार होता है या नहीं। इस घटना ने एक बार फिर मतदाता सूची के अद्यतन कार्य पर निगरानी और पारदर्शिता की जरूरत को रेखांकित किया है।