Bihar News: गांवों की गंदगी से निकलेगा सोना, एफएसटीपी से बदलेगी बिहार के ग्रामीण इलाकों की सूरत, 11 जिलों की बदलेगी तस्वीर

Bihar News: बिहार के गांवों में अब गंदगी नहीं, बल्कि संसाधन पैदा होंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की डबल इंजन सरकार ने ग्रामीण स्वच्छता को लेकर एक नई और दूरगामी रणनीति पर काम तेज कर दिया है,...

बिहार के गांवों की गंदगी से निकलेगा सोना- फोटो : X

Bihar News: बिहार के गांवों में अब गंदगी नहीं, बल्कि संसाधन पैदा होंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की डबल इंजन सरकार ने ग्रामीण स्वच्छता को लेकर एक नई और दूरगामी रणनीति पर काम तेज कर दिया है, जिसके तहत प्रदेश के 11 जिलों में फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (FSTP) लगाए जाएंगे। यह प्लांट सेप्टिक टैंक और गड्ढा शौचालयों से निकलने वाले मल को न सिर्फ सुरक्षित तरीके से ट्रीट करेंगे, बल्कि उसे खाद, सिंचाई योग्य पानी और अन्य उपयोगी संसाधनों में बदलेंगे। इस योजना को जमीन पर उतारने के लिए पटना सहित भागलपुर, समस्तीपुर, मोतिहारी और बांका जैसे जिलों में जमीन अधिग्रहण और अलॉटमेंट का काम लगभग पूरा कर लिया गया है।

राजधानी पटना के नौबतपुर इलाके के काव गांव के पास एफएसटीपी के निर्माण की तैयारी अंतिम चरण में है। जानकारी के मुताबिक, इन सभी जिलों में साल 2024 में ही जमीन अलॉटमेंट की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। अब निर्माण से पहले जरूरी एनओसी को लेकर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने साइट विजिट का काम भी पूरा कर लिया है। इसका मतलब साफ है कि अब यह योजना कागजों से निकलकर जल्द ही जमीन पर दिखने वाली है।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विशेषज्ञ नलिनी मोहन सिंह बताते हैं कि फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट उन इलाकों के लिए बेहद जरूरी है, जहां अभी केंद्रीकृत सीवर सिस्टम मौजूद नहीं है। एफएसटीपी में सेप्टिक टैंकों से निकलने वाले मल और सेप्टेज को वैज्ञानिक तरीके से इकट्ठा कर उसका उपचार किया जाएगा। इसके बाद इस वेस्ट से सिंचाई के लिए उपयोगी पानी, खेती और बागवानी के लिए सुरक्षित जल, पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद तैयार की जाएगी।

इतना ही नहीं, एफएसटीपी में बिना ऑक्सीजन के अपशिष्ट का अपघटन, केंचुओं की मदद से वर्मी कम्पोस्ट बनाना, कीचड़ से पानी अलग करना और धूप के जरिए अवशेषों को सुखाने जैसी प्रक्रियाएं भी अपनाई जाएंगी। इससे एक तरफ जहां गांवों की साफ-सफाई व्यवस्था मजबूत होगी, वहीं दूसरी ओर वायु और जल प्रदूषण पर भी लगाम लगेगी।

कुल मिलाकर यह योजना बिहार के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है, जहां गंदगी अब बोझ नहीं बल्कि “सोना” बनकर गांवों की तस्वीर बदलेगी।