Voter Adhikar Yatra: महागठबंधन की शक्ति-परिक्रमा! वोटर अधिकार यात्रा के अंतिम पड़ाव पर हेमंत सोरेन की एंट्री से बढ़ेगी सियासी तपिश

Voter Adhikar Yatra: बिहार की राजनीति इन दिनों राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के इर्द-गिर्द घूम रही है। 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई यह यात्रा अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रही है...

वोटर अधिकार यात्रा के अंतिम पड़ाव पर हेमंत सोरेन की एंट्री से बढ़ेगी सियासी तपिश - फोटो : social Media

Voter Adhikar Yatra: बिहार की राजनीति इन दिनों राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के इर्द-गिर्द घूम रही है। 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई यह यात्रा अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रही है और 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में विशाल रैली के साथ इसका समापन होगा। इस रैली को खास बनाने के लिए कांग्रेस ने गैर-एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी शामिल होने का न्योता भेजा है। इसी कड़ी में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पटना आना तय है।

सूत्रों के अनुसार, हेमंत सोरेन 1 सितंबर को पटना पहुंचेंगे और गांधी मैदान की ऐतिहासिक धरती से वोटर अधिकार यात्रा को संबोधित करेंगे। उनके साथ झारखंड सरकार में कांग्रेस कोटे के मंत्री भी मौजूद रहेंगे। यह एंट्री महागठबंधन को नई ऊर्जा देने वाली मानी जा रही है।

झामुमो महासचिव विनोद पांडेय का कहना है कि “हेमंत सोरेन के कामकाज से बिहार की जनता भी प्रभावित है। यही वजह है कि उनकी मांग यहां बढ़ी है। आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह मौजूदगी महागठबंधन के लिए बड़ा संदेश होगी।”

 वोटर अधिकार यात्रा अब तक मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सुपौल, पूर्णिया समेत दर्जनों जिलों से होकर गुजर चुकी है। हर जगह राहुल गांधी के साथ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं। भीड़ का जनसैलाब और नारों की गूंज ने इसे विपक्ष का सबसे बड़ा राजनीतिक अभियान बना दिया है।

हेमंत सोरेन का पटना में मंच साझा करना न सिर्फ महागठबंधन की एकजुटता का प्रदर्शन होगा, बल्कि यह भाजपा और एनडीए खेमे को भी सीधा चुनौती देने जैसा होगा। महागठबंधन इसे एक राष्ट्रीय संदेश की तरह पेश करने की तैयारी में है कि विपक्षी दल सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मिलकर सत्ता पक्ष के खिलाफ लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।

अब सबकी निगाहें 1 सितंबर पर टिकी हैं। सवाल यही है क्या गांधी मैदान में उमड़ी भीड़ और हेमंत सोरेन की मौजूदगी बिहार की राजनीति में परिवर्तन का शंखनाद साबित होगी, या यह सिर्फ एक विपक्षी शक्ति-प्रदर्शन भर रह जाएगा?