PATNA HIGHCOURT - ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट के आधार पर दर्ज हुई प्राथमिकी अवैध, शराबबंदी कानून को लेकर हाईकोर्ट ने दिया बिहार पुलिस को दिया झटका

पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी कानून को लेकर एक बड़े फैसले में ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट के आधार पर दर्ज प्राथमिकी को अवैध बता दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह जांच शराब सेवन का कोई ठोस प्रमाण नहीं देता है। इस दौरान कोर्ट ने मद्यपान की जांच के लिए जरुरी मापदंड भ

 PATNA HIGHCOURT - ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट के आधार पर दर्ज हुई प्राथमिकी अवैध, शराबबंदी कानून को लेकर हाईकोर्ट ने दिया बिहार पुलिस को दिया झटका

PATNA - पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि शराबबंदी कानून के तहत केवल ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट के आधार पर दर्ज हुई प्राथमिकी अवैध है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एनालाइजर मशीन की रिपोर्ट किसी व्यक्ति के मद्यपान करने का कोई ठोस प्रमाण नहीं देता।इसलिए केवल सांस की दुर्गंध जांच कर  दर्ज हुई प्राथमिकी  शराब बंदी कानून में अमान्य होगी । 

ब्रेथ एनालाइजर मशीन की रिपोर्ट का समर्थन किसी प्राथमिकी में दर्ज हुई आरोपी के असामान्य व्यवहार  जैसे लड़खड़ाती जबान या चढ़ी हुई आंखे जैसे हालात से समर्थित होनी चाहिए या उसके खून वो पेशाब जांच की रिपोर्ट जो इस बात की पुष्टि करे कि आरोपी के शरीर में एल्कोहोल की मात्रा है। तभी वैसी प्राथमिकी शराब बंदी कानून के तहत मान्य व वैध होगी । 

जस्टिस विवेक चौधरी ने नरेंद्र कुमार राम की आपराधिक रिट याचिका को स्वीकार करते हुए उसके खिलाफ किशनगंज एक्साइज थाने में पिछले वर्ष दर्ज हुई प्राथमिकी को रद्द कर दिया। कोर्ट को बताया गया कि  याचिकाकर्ता पेट  के संक्रमण का इलाज होमियोपैथी दवाओं से करीब एक पखवाड़े से कर रहा था । ब्रेथ एनालाइजर ने होमियोपैथी दवाओं में एल्कोहोल की मात्राओं को संवेदन कर पेट में शराब होने की रिपोर्ट दिया । 

एक्साइज अधिकारियों ने आरोपी के खून पेशाब जांच कराए बगैर ही प्राथमिकी दर्ज कर दिया, जिसमें  याचिकाकर्ता के असामान्य व्यवहार या उसकी चढ़ी हुई आंखे बगैर का जिक्र भी नहीं है।

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