8 लाख की फीस सीधे 18 लाख! मेडिकल छात्रों की उम्मीदों पर फिरा पानी; जानिए आखिर हाईकोर्ट ने इस 'लूट' पर सुनवाई से क्यों किया इनकार?
मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों और उनके अभिभावकों को पटना हाईकोर्ट से निराशा हाथ लगी है। कोर्ट ने निजी मेडिकल कॉलेजों में बेतहाशा बढ़ी फीस को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है।
Patna : पटना हाईकोर्ट ने निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस (MBBS) की फीस बढ़ोतरी के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। यह फैसला एक्टिंग चीफ जस्टिस सुधीर सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले को जनहित याचिका के जरिए नहीं सुना जा सकता। अगर किसी छात्र या अभिभावक को शिकायत है, तो वे उचित कानूनी मंच पर अपना पक्ष रख सकते हैं।
दोगुने से ज्यादा बढ़ गई है फीस
याचिका में आरोप लगाया गया था कि बिहार के निजी मेडिकल कॉलेजों ने नियमों को ताक पर रखकर फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी है। फीस को 7.98 लाख रुपये से बढ़ाकर सीधे 15.50 लाख रुपये कर दिया गया है।
राधा देवी मेडिकल कॉलेज में तो यह फीस बढ़ाकर 18.50 लाख रुपये तक कर दी गई है। याचिकाकर्ता का कहना था कि शिक्षा शुल्क निर्धारण समिति ने पुराने आदेशों का पालन नहीं किया और कॉलेजों के साथ मिलीभगत कर यह फैसला लिया।
क्या थी मांग?
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की थी कि बढ़ी हुई फीस की समीक्षा की जाए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध पी.ए. इनामदार केस का हवाला देते हुए कहा था कि फीस निर्धारण में पारदर्शिता होनी चाहिए, जो यहां नहीं बरती गई।
कोर्ट का तर्क
खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि फीस बढ़ोतरी का असर सीधे तौर पर छात्रों पर पड़ रहा है। इसलिए, यह मुद्दा 'जनहित याचिका' (PIL) का नहीं बनता। प्रभावित अभ्यर्थियों या संबंधित पक्षों को व्यक्तिगत रूप से या समूह में उचित फोरम में इसे चुनौती देनी चाहिए। इसी आधार पर याचिका को स्वीकार करने योग्य न मानते हुए रद्द कर दिया गया।