Bihar Police: जिस थाने के थे थानेदार वहीं दबंगई का दर्ज हुआ केस, कई सिपाहियों की भी बढ़ी मुश्किलें, तीन साल बाद घेराबंदी

Bihar Police: थाना में पुलिसिया दबंगई के मामले में एक बड़ा मोड़ आया है। जिस थाने के थानेदार थे वहीं केस दर्ज हुआ है...

जिस थाने के थे थानेदार वहीं दबंगई का दर्ज हुआ केस- फोटो : social Media

Bihar Police: थाना में पुलिसिया दबंगई के मामले में एक बड़ा मोड़ आया है। तीन साल की लंबी जद्दोजहद के बाद, धनरूआ थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष दीनानाथ सिंह और उनके सहयोगी दो दरोगा व पंद्रह पुलिसकर्मी के खिलाफ अब एफआईआर दर्ज की गई है। यह प्राथमिकी व्यवहार न्यायालय मसौढ़ी के आदेश पर दर्ज की गई, जो मयंक चौधरी और उनके परिवार द्वारा की गई लगातार कानूनी लड़ाई के परिणामस्वरूप संभव हो सकी।

यह मामला तब की रात 24 अगस्त 2022 का है, जब तत्कालीन थानाध्यक्ष दीनानाथ सिंह, अवर निरीक्षक विकास कुमार, और सहायक अवर निरीक्षक विजय कुमार समेत 10 से 15 पुलिसकर्मियों ने मयंक चौधरी के घर बिरंचीपर में घुसकर कथित रूप से मारपीट की। आरोप है कि इस दौरान मयंक के पिता को जातिवाद के आधार पर गालियाँ दी गईं और उनके साथ बुरी तरह मारपीट की गई, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। साथ ही, घर में रखा 60,000 रूपये भी चोरी किए गए।

मयंक चौधरी ने इस घटना के बाद डीएसपी से शिकायत की थी, लेकिन पुलिस द्वारा उसे झूठा बयान लिखवाने के लिए मजबूर किया गया कि उसके पिता की चोट खुद की गलती से लगी है। इसके बाद, मयंक ने पटना पीएमसीएच में अपने पिता का इलाज कराया और पुलिस के उत्पीड़न का शिकार होता रहा। उन्होंने कई बार अनुसूचित जाति थाना, एसएसपी, पुलिस महानिदेशक और अन्य उच्च अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कहीं से भी इंसाफ नहीं मिला।

तब मयंक ने स्थानीय न्यायालय में परिवाद पत्र दायर किया, जहां न्यायालय ने धनरूआ पुलिस को आदेश दिया कि एफआईआर दर्ज की जाए। अंततः न्यायालय के आदेश पर एफआईआर दर्ज हो पाई, और अब धनरूआ थानाध्यक्ष शुभेन्द्र कुमार ने भी इसकी पुष्टि की है कि मामला दर्ज किया जा चुका है।

यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही और पुलिसिया दबंगई का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आम नागरिक के लिए इंसाफ पाने का रास्ता कितना मुश्किल हो सकता है, खासकर जब पुलिस खुद आरोपित हो। मयंक चौधरी की यह लड़ाई सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक संघर्ष बन चुकी है।