Bihar Politics: नीतीश कुमार के दिल्ली दौर के बाद जदयू में हलचल, बेटे निशांत की पॉलिटिकल एंट्री और कैबिनेट विस्तार की तैयारी शुरु, दिल्ली में बंद कमरे में ये हुआ फैसला
Bihar Politics: दिल्ली में हुई मीटिंग संकेत देती है कि जदयू के भविष्य में नई राजनीतिक तैयारियां और शक्ति संतुलन पर बड़े निर्णय जल्द ही सामने आ सकते हैं।
Bihar Politics: CM नीतीश कुमार दो दिवसीय दिल्ली दौरे के बाद सोमवार को पटना लौट आए। राजधानी लौटने से पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अलग-अलग बंद कमरों में मुलाकात की। जदयू के शीर्ष सूत्रों के अनुसार इस मुलाकात में तीन अहम विषयों पर चर्चा हुई, बेटे निशांत कुमार की राजनीतिक एंट्री, चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के लिए केंद्र से विशेष पैकेज की मांग और बिहार में कैबिनेट विस्तार को लेकर गहन मंथन हुआ।
सूत्रों ने बताया कि मुख्य चर्चा निशांत कुमार की राजनीतिक शुरुआत को लेकर हुई। अमित शाह पहले भी इस प्रस्ताव को लेकर सक्रिय रहे हैं, जबकि नीतीश कुमार अपनी सीएम कुर्सी बनाए रखने के पक्ष में हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति मिलने पर ही निशांत का राजनीतिक डेब्यू संभव होगा। वर्तमान संकेतों के मुताबिक, यह कदम खरमास बाद या पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले उठाया जा सकता है।
इस दौरे में नीतीश कुमार के साथ केवल केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ही मौजूद थे, जबकि राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा नहीं थे। यह स्पष्ट संकेत है कि इस बड़े फैसले में केवल नीतीश के भरोसेमंद साथी शामिल रहे। जदयू सूत्रों ने बताया कि हालिया चुनावी घोषणाओं (फ्री बिजली, पेंशन बढ़ोतरी, आंगनबाड़ी सेविका को स्मार्टफोन और मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना) से सरकार पर लगभग 25,000 करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ गया है। ऐसे में केंद्र से बिहार के लिए विशेष पैकेज की संभावना भी चर्चा में रही।
खरमास बाद कैबिनेट विस्तार पर भी बातचीत हुई। 20 नवंबर को 27 मंत्रियों ने शपथ ली थी, जिसमें बीजेपी के 14 और जदयू के 9 मंत्री शामिल थे। अब 36 सदस्यों की कैबिनेट में 9 नए मंत्री बनाए जा सकते हैं, जिनमें जदयू कोटे की 6 सीटें शामिल हैं।
नीतीश कुमार लगातार यह कहते आए हैं कि उन्होंने कभी अपने परिवार को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाया। इस वजह से पार्टी में नंबर-2 नेताओं की स्थिति कमजोर है। JDU में नीतीश के बाद प्रमुख नेता केवल ललन सिंह, संजय झा, विजय कुमार चौधरी और अशोक चौधरी हैं, जिनमें से कोई भी JDU के कोर वोट बैंक (कुर्मी-कोइरी और EBC) का प्रतिनिधित्व पूरी तरह नहीं करता। यही कारण है कि निशांत कुमार की संभावित एंट्री को पार्टी और राज्य राजनीति के लिए रणनीतिक महत्व दिया जा रहा है।
यह दौरा और दिल्ली में हुई मीटिंग संकेत देती है कि जदयू के भविष्य में नई राजनीतिक तैयारियां और शक्ति संतुलन पर बड़े निर्णय जल्द ही सामने आ सकते हैं।