'खतवे को चौपाल जाति' के नाम पर एससी का प्रमाण पत्र देने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर

Patna - खतवे जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है। याचिकाकर्ता राजीव कुमार ने बताया कि बिहार सरकार ने खतवे जाति के लोगों को चौपाल जाति के नाम पर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र देने के लिए परिपत्र संख्या 6455 दिनांक 16/05/2014 खतवे जाति को अत्यंत पिछड़ा वर्ग के सूची से हटा दिया है। 

राज्य सरकार ने निर्देश दिया की खतवे जाति से संबंधित लोगों को चौपाल जाति के नाम पर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र दिया जाए।

2018 में  सरकार ने लिया फैसला

विदित हो कि इस मामले में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार, जो अनुसूचित जाति के सूची में संशोधन करने के लिए नोडल मंत्रालय है, उसने आदेश दिनांक 12/12/2018 निकालकर बिहार सरकार के निर्देश को असंवैधानिक और गैर कानूनी बताया। साथ ही   बिहार सरकार को निर्देशित किया कि यदि खतवे जाति के लोगों को चौपाल जाति के नाम पर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र दिया जाता है, तो वह गैर कानूनी और असंवैधानिक होगा ।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट जाने के दिए निर्देश

इस मामले मे सुप्रीम कोर्ट  का दरवाजा खटखटाया था किंतु सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप पटना हाई कोर्ट के समक्ष मामलें को प्रस्तुत करें।  इसी के आलोक में  अधिवक्ता विकास कुमार पंकज के माध्यम से पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। इसमें   बिहार सरकार के उस निर्देश को चुनौती दिया है, जिसके माध्यम से सरकार ने खतवे जाति को चौपाल जाति के नाम पर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र निर्गत करने का आदेश दिया है।

 याचिकाकर्ता के वकील विकास कुमार पंकज ने बताया की इसी तरह  बिहार सरकार ने 2015 मे तांति ततवा जाति को अत्यंत पिछड़ा वर्ग के सूची   से हटा करके पान जाति के नाम पर अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया था। 

इस पर सुप्रीम कोर्ट  ने भीमराव अंबेडकर विचार मंच बनाम बिहार सरकार मामले में निर्णय देते हुए 2024 मे रद्द कर दिया है। यह मामला उसी तरह का है। 

सुप्रीम कोर्ट   ने पूर्व ऐसे अधिसूचना पर कॉस्ट लगाते हुए बिहार सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए रद्द कर दिया था।