नगर निगम प्रशासन ने पहले जमीन का किया नक्शा पास, फिर निगम कर्मियों को भेज कर रुकवाया कंस्ट्रक्शन,पीड़ित दर-दर भटक न्याय की लगा रहे गुहार
पटना हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद नगर निगम ने एक व्यक्ति के निर्माण कार्य पर रोक लगाई। पीड़ित ने निगम प्रशासन पर अवहेलना का आरोप लगाया है, जिससे न्याय पाने में देरी हो रही है।
Patna Municipal Corporation: पटना में एक व्यक्ति के निर्माण कार्य को लेकर पटना नगर निगम प्रशासन और हाईकोर्ट के आदेश के बीच विवाद पैदा हो गया है। पीड़ित गौतम कुमार ने आरोप लगाया कि नगर निगम ने अदालत के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद उनके निर्माण कार्य को बार-बार बाधित किया है।
पीड़ित का आरोप: नगर निगम कर रहा अवहेलना
गौतम कुमार का दावा है कि उन्होंने वर्ष 2023 में कदमकुआं थाना क्षेत्र स्थित जगत नारायण रोड पर चार कट्ठा जमीन से एक कट्ठा रजिस्ट्री करवाई थी। 26 जून 2024 को नगर निगम द्वारा उनके प्लॉट का नक्शा पास किया गया था, लेकिन 29 जून को अचानक निगम प्रशासन ने निर्माण कार्य को रोक दिया, यह कहते हुए कि "ऊपर से आदेश है"।
हाईकोर्ट का आदेश और न्यायालय की अवहेलना
गौतम ने पटना हाईकोर्ट में CWCJ-16607/24 के तहत मामला दर्ज करवाया, जिसके बाद अदालत ने 29 अक्टूबर 2024 को आदेश जारी किया कि पीड़ित के निर्माण कार्य पर कोई कार्रवाई न की जाए। बावजूद इसके, 28 नवंबर 2024 को निगम ने फिर से कार्रवाई की और परिसर में रखा सारा निर्माण सामग्री जप्त करने की कोशिश की।
मीडिया का हस्तक्षेप और निगम प्रशासन की प्रतिक्रिया
जब पीड़ित ने मीडिया का सहारा लिया तो स्थिति और बिगड़ गई। 28 नवंबर 2024 को निगम प्रशासन सामान उठाने के लिए परिसर में पहुंचे, लेकिन मीडिया की उपस्थिति को देखते हुए वे भाग खड़े हुए। पीड़ित ने दावा किया कि निगम प्रशासन ने कानून और न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए उन्हें लगातार परेशान किया है।
न्याय की तलाश में पीड़ित
गौतम ने इस मामले को लेकर नगर निगम प्रशासन, कदमकुआं थाना, एसएसपी, डीएसपी, और मुख्यमंत्री तक शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अब यह देखना होगा कि इस मामले में उन्हें कब और कैसे न्याय मिलेगा।
न्यायालय के आदेश का पालन
इस मामले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब न्यायालय के आदेश का पालन सरकारी प्रशासन नहीं करता है, तो आम नागरिकों को न्याय कैसे मिलेगा। अब यह देखना होगा कि पीड़ित को न्याय कैसे और कब मिलेगा।प
पटना से अनिल कुमार की रिपोर्ट