Bihar Tej Pratap Yadav: नीतीश कुमार के मंत्री चयन पर सियासी तूफ़ान, तेज प्रताप यादव बोले- 'ये मोदी-नीतीश का जादू है'
Bihar Tej Pratap Yadav: नीतीश कुमार की ओर से दीपक प्रकाश को बिना चुनाव लड़े मंत्री बनाए जाने पर बिहार में सियासी घमासान। तेज प्रताप यादव ने पीएम मोदी और नीतीश पर तंज कसते हुए इसे जादू बताया है।
Bihar Tej Pratap Yadav: बिहार में एक बार फिर राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने नए मंत्रिमंडल में उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को जगह देकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। सामान्य नियमों के अनुसार मंत्री वही बनता है जिसे जनता ने विधायक या सांसद चुना हो, या जो विधान परिषद का सदस्य हो। लेकिन दीपक न तो विधायक हैं और न ही एमएलसी, इसके बावजूद उन्हें शपथ दिलाई गई, जिसने पूरे राज्य में नई बहस को जन्म दे दिया है।
इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी कि क्या नीतीश कुमार ने यह कदम किसी राजनीतिक सौदेबाजी के तहत उठाया है, या यह पूरी तरह से परिवारवाद का समर्थन है। इस अटकल को तब और बल मिला जब यह सामने आया कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के पास चार विधायक मौजूद हैं, जिनमें उनकी पत्नी स्नेहलता भी शामिल हैं। इसके बावजूद कुशवाहा ने अपने बेटे का नाम आगे बढ़ाया, जिसे कई लोग उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में पेश करने की कोशिश मान रहे हैं।
काउंटिंग एजेंट से मंत्री तक की ‘चंद दिन’ की यात्रा
इस विवाद को और तेज़ कर देने वाली बात यह है कि दीपक प्रकाश हाल ही में सासाराम सीट पर अपनी मां के खिलाफ चुनाव लड़ रहे निर्दलीय प्रत्याशी रामनारायण पासवान के काउंटिंग एजेंट थे। उनकी काउंटिंग एजेंट आईडी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है। कुछ ही दिनों के भीतर काउंटिंग एजेंट से मंत्री बन जाना विपक्ष के लिए बड़ा सवाल बन गया है।
तेज प्रताप का व्यंग्य—“है ना मोदी-नीतीश का जादू?”
विवाद का रंग तब और गहरा हो गया जब जनशक्ति जनता दल के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया पर बेहद तीखी टिप्पणी कर दी। उन्होंने दीपक प्रकाश की वायरल तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा कि सासाराम में जमानत भी न बचा पाने वाले उम्मीदवार के काउंटिंग एजेंट को मंत्री बना देना ही तो “मोदी-नीतीश का जादू” है। तेज प्रताप ने दोनों नेताओं को “जादूगर” तक कह डाला, यह संकेत देते हुए कि यह नियुक्ति किसी सामान्य राजनीतिक प्रक्रिया का नतीजा नहीं है, बल्कि खास राजनीतिक गणित का परिणाम है।उनकी पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर बिहार की राजनीति को लेकर चर्चाओं की बाढ़ आ गई। कुछ लोगों ने नीतीश कुमार के फैसले को राजनीतिक मजबूरी बताया, तो कईयों ने उपेंद्र कुशवाहा को खुले तौर पर परिवारवाद को बढ़ावा देने वाला नेता कहा।