Bihar News: नीतीश सरकार ने किया 70 हजार करोड़ के घोटाले से इनकार, CAG रिपोर्ट को लेकर दी बड़ी सफाई, जानिए क्या है पूरा मामला

Bihar News: नीतीश सरकार ने 70 हजार करोड़ घोटाले से इनकार कर दिया है। CAG रिपोर्ट को लेकर नीतीश सरकार ने बड़ी सफाई दी है। आइए जानते हैं सरकार ने क्या कहा है...

Nitish government clarification - फोटो : social media

Bihar News: बिहार के नीतीश सरकार  पर कैग रिपोर्ट के आधार पर 70 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लग रहा था। जिसको लेकर विपक्ष लगातार नीतीश सरकार से सवाल कर रही थी। वहीं अब नीतीश सरकार ने इस मामले में सफाई देते हुए घोटाले से इनकार कर दिया है। सरकार ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताया है। दरअसल, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में 70,877 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) समय पर जमा नहीं होने को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे थे। वहीं अब बिहार सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। सरकार ने इसे किसी भी तरह का वित्तीय घोटाला मानने से इनकार करते हुए इसे सामान्य लेखा प्रक्रिया का हिस्सा बताया है।

सरकार की सफाई 

मंगलवार को आयोजित प्रेस वार्ता में वित्त विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर ने कहा कि यह मामला न तो गबन का है और न ही कोई वित्तीय अनियमितता का। यह एक सामान्य अकाउंटिंग प्रक्रिया है जो देश के सभी राज्यों में अपनाई जाती है। उन्होंने बताया कि सीएजी की रिपोर्ट को अब बिहार विधानमंडल की पब्लिक अकाउंट्स कमिटी (PAC) को भेजा जाएगा। जहां वित्त सहित संबंधित विभागों को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलेगा। इसके बाद समिति की अंतिम रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी और सरकार उस पर आवश्यक कार्रवाई करेगी।

इस बार सबसे कम राशि लंबित 

प्रधान सचिव ने यह भी कहा कि पिछले पांच वर्षों में इस बार सबसे कम राशि के यूसी बिल लंबित हैं और लंबित राशि का लगातार समायोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1,09,093 करोड़ रुपये के यूसी बिलों का समायोजन किया गया, जबकि सीएजी रिपोर्ट पेश होने के बाद अब तक 51,750 करोड़ रुपये की राशि का समायोजन किया जा चुका है।

मानसून सत्र के दौरान सामने आया था मामला 

गौरतलब है कि डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने हाल ही में संपन्न मानसून सत्र के दौरान विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2023-24 की सीएजी रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में महालेखाकार ने बताया था कि करीब 70,877 करोड़ रुपये की सरकारी योजनाओं का उपयोगिता प्रमाण पत्र समय पर नहीं दिया गया, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि संबंधित योजनाओं पर वास्तव में फंड खर्च हुआ या नहीं। सरकार की सफाई के बाद यह साफ हो गया है कि मामला अब आगे जांच और समिति की समीक्षा के अधीन रहेगा और अंतिम निर्णय रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर ही लिया जाएगा।