Bihar government: नीतीश कुमार की नई सरकार के सामने चुनौतियों की लंबी लिस्ट, जानें कौन से है वे काम जिसको लेकर जागी जनता की उम्मीद
Bihar government: प्रचंड बहुमत के बाद नीतीश कुमार की नई सरकार के सामने रोजगार, पलायन, उद्योग, शराबबंदी और महिलाओं की उम्मीदों को पूरा करने जैसी बड़ी चुनौतियां हैं।
Bihar government: बिहार में एनडीए ने भारी बहुमत के साथ सत्ता फिर अपने हाथ में ले ली है और नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। नई सरकार के सामने अब सबसे अहम काम यह साबित करना है कि जनता ने जिस भरोसे के साथ वोट दिया है, वह सही था। आने वाले दिनों में सरकार को कई मोर्चों पर तेजी से काम करना होगा।
पलायन पर रोक — बिहार की सबसे गहरी चोट का इलाज जरूरी
इस चुनाव में एक बार फिर बिहार से बाहर रोजगार के लिए जाने की मजबूरी बड़ा मुद्दा बनकर उभरी। कई महिलाओं ने साफ कहा कि परिवार से दूर रहना अब असहनीय हो गया है। नई सरकार से उम्मीद यह है कि रोजगार लोगों के गांव और जिले में ही उपलब्ध हों ताकि परिवार टूटने की नौबत न आए। नीतीश कुमार से यह अपेक्षा होगी कि वे इस दिशा में तुरंत असर दिखाने वाली नीतियाँ लाएँ।
एक करोड़ रोजगार का वादा — अब अमल का समय
एनडीए ने अपने घोषणा-पत्र में करोड़ों युवाओं को यह भरोसा दिया है कि राज्य में एक करोड़ से ज्यादा रोजगार पैदा किए जाएंगे। विपक्ष पहले ही निगरानी में बैठा है और सवाल उठाने की तैयारी में है कि नौकरी देने की यह प्रक्रिया कब शुरू होगी। सरकार को त्वरित भर्ती, युवाओं के लिए विशेष योजनाएँ और निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाने होंगे, ताकि यह वादा कागज़ पर न रह जाए।
हर जिले में उद्योग लगाने का लक्ष्य — जमीनी चुनौतियां बड़ी
घोषणा-पत्र में यह भी कहा गया है कि बिहार के हर जिले में फैक्टरियां स्थापित की जाएंगी। लेकिन उद्योग जगत से जुड़े लोग मानते हैं कि केवल प्रोत्साहन देने से फैक्ट्रियाँ अपने आप खड़ी नहीं होंगी। इसके लिए सरकार को जमीन की उपलब्धता, तैयार इंडस्ट्रियल प्लॉट और बेहतर ढांचा जैसे मूलभूत काम पहले पूरे करने होंगे। यह लक्ष्य जितना आकर्षक है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी।
महिलाओं की उम्मीदों का दायरा बड़ा, आर्थिक सहायता को लेकर उत्सुकता
चुनाव से पहले राज्य सरकार ने महिलाओं के खातों में मुख्यमंत्री रोजगार योजना के तहत 10,000 रुपये भेजकर बड़ा संदेश दिया था। अब वादा है कि भविष्य में यह सहायता बढ़कर दो लाख रुपये तक की जा सकती है। साथ ही मुफ्त बिजली की सीमा और किसान सम्मान राशि में भी बढ़ोतरी की बात कही गई है। इन सब योजनाओं को लागू करने के लिए राज्य की कमाई और वित्तीय स्थिति में मजबूती लाना अनिवार्य होगा।
शराबबंदी की फिर चर्चा — क्या अब बदलेगा इसका ढांचा?
शराबबंदी बिहार की राजनीति में हमेशा से विवाद का विषय रही है। चुनाव अभियान के दौरान यह सामने आया कि शराब की अवैध बिक्री रुकी नहीं है और कई इलाकों में अधिक दाम पर घर तक सप्लाई की जा रही है। लोगों ने यह भी बताया कि पुलिस आम नागरिकों को बेवजह परेशान करती है। गठबंधन के कई नेताओं ने माना कि शराबबंदी को सही रूप में लागू नहीं किया गया। इसलिए यह संभावना बनी हुई है कि नई सरकार इस कानून की समीक्षा करे या इसमें कुछ सुधार लाए।