Prashant kishor: बिहार चुनाव में हार के बाद PK का मौन और उपवास, भितिहरवा आश्रम को बनाया आत्मचिंतन का केंद्र

Prashant kishor: बिहार चुनाव में हार के बाद प्रशांत किशोर ने भितिहरवा आश्रम में मौन और उपवास रखा। PK ने इसे आत्मचिंतन और जन सुराज की नई रणनीति का संकेत बताया।

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PK का मौन और उपवास- फोटो : social media

Prashant kishor: बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीद के अनुसार नतीजे न आने के बाद जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने आत्मचिंतन का रास्ता चुना है। परिणाम घोषित होने के ठीक बाद उन्होंने बेतिया के भितिहरवा गांधी आश्रम में पूरे दिन मौन साधा और उपवास रखा। यह वही दिन था जब पटना में नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और पूरी राजनीतिक गलियारों में जश्न का माहौल था। ऐसे समय में PK का यह मौन राजनीतिक रूप से बेहद अर्थपूर्ण माना जा रहा है।

प्रशांत किशोर के करीबी लोगों का मानना है कि उनका यह निर्णय केवल व्यक्तिगत प्रायश्चित नहीं, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है कि वे राजनीति में जल्दबाजी नहीं, बल्कि लम्बी और कठिन यात्रा के लिए प्रतिबद्ध हैं। जन सुराज के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने बताया कि PK ने हार की पूरी ज़िम्मेदारी खुद ली है और उपवास का निर्णय उन्होंने आत्मअनुशासन और नई रणनीति तय करने के लिए किया है। चुनाव परिणामों के बाद उन्होंने खुले तौर पर कहा भी था कि वे प्रायश्चित के तौर पर मौन और उपवास रखेंगे।

भितिहरवा आश्रम का चयन भी संयोग नहीं था। यही वह स्थान है जहां से महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत की थी। यह जगह संघर्ष, आत्मशुद्धि और जमीनी राजनीति की पहचान मानी जाती है। PK का वहां जाना इस बात का संकेत है कि वे बिहार की राजनीति को जातीय खाई, भ्रष्ट गठजोड़ और अवसरवादी सोच से बाहर निकालने के अपने संकल्प पर फिर से फोकस करना चाहते हैं।

मौन व्रत पूरा होने के बाद अब माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर पार्टी की अंदरूनी समीक्षा शुरू करेंगे। आने वाले दिनों में जन सुराज के ढांचे को फिर से तैयार करने, गांव-गांव में नए कार्यक्रम चलाने और वैकल्पिक राजनीति की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएँ की जा सकती हैं। चुनावी हार के बाद PK का यह पहला कदम है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि वे पीछे हटने वाले नहीं, बल्कि और मजबूत होकर लौटने की तैयारी में हैं।