Bihar News:अब डाटा इंट्री ऑपरेटरों की बारी, नियमितिकरण और सेवांत लाभ की मांग को लेकर 17 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल
Bihar News:बिहार में सरकारी योजनाओं और प्रशासनिक कार्यों की रीढ़ बन चुके डाटा इंट्री ऑपरेटर अब अपने अधिकारों और भविष्य की सुरक्षा को लेकर सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं।
Bihar News:बिहार में सरकारी योजनाओं और प्रशासनिक कार्यों की रीढ़ बन चुके डाटा इंट्री ऑपरेटर अब अपने अधिकारों और भविष्य की सुरक्षा को लेकर सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं। राज्यस्तरीय डाटा इंट्री ऑपरेटर एकता मंच के बैनर तले लगभग 22 हजार ऑपरेटरों ने 17 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है।
इसकी जानकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष नीतीश झा ने मंगलवार को दी। उन्होंने बताया कि संगठन ने अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर राज्य सरकार को 15 जुलाई तक का अल्टीमेटम दिया है। यदि इस तय समयसीमा तक सरकार ने सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं किया, तो न सिर्फ हड़ताल शुरू होगी, बल्कि किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई होने की स्थिति में सामूहिक भूख हड़ताल भी की जाएगी।
नीतीश झा ने कहा कि हम वर्षों से सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं—फिर चाहे वह डिजिटल इंडिया हो, शिक्षा योजना हो, स्वास्थ्य मिशन या DBT आधारित कल्याणकारी योजनाएं। इसके बावजूद आज भी हम अनियमित, संविदा और अस्थायी श्रेणी में गिने जा रहे हैं।
प्रमुख मांगें जिन पर आंदोलन का आधार बना:नियमितिकरण और स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा,सेवांत लाभ (पेंशन, ग्रेच्युटी, भविष्य निधि) की व्यवस्था,समान कार्य के लिए समान वेतन,समयबद्ध वेतन भुगतान,कार्यस्थल पर सुरक्षा और सम्मान की गारंटी, बेल्ट्रॉन से सीधे सरकार के अधीन नियुक्ति, पुराने कर्मियों के अनुभव के आधार पर वरिष्ठता का निर्धारण,वार्षिक वेतन वृद्धि और प्रोन्नति नीति,छुट्टियों और अवकाश का प्रावधान, महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ और सुरक्षित कार्यस्थल, भविष्य की सेवा सुरक्षा नीति
नीतीश झा ने यह भी बताया कि बेल्ट्रॉन से जुड़े कई कर्मी 20-25 वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन आज भी उनके पास न तो पहचान है, न ही भविष्य की कोई सुरक्षा।
डाटा इंट्री ऑपरेटर, जो सरकारी कार्यालयों की डिजिटल धड़कन माने जाते हैं, अब खुद अपनी आवाज़ बुलंद करने को तैयार हैं। आने वाले दिनों में यदि इनकी मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो राज्य सरकार की डिजिटल सेवाओं, पेंशन योजनाओं, स्कॉलरशिप, राजस्व रिकॉर्डिंग और ई-गवर्नेंस सिस्टम पर बड़ा असर पड़ सकता है।