Bihar News: सच्चाई के प्रहरी,पद्मश्री के के मुहम्मद के सम्मान में समर्पित ग्रंथ का राजभवन के दरबार हॉल में भव्य विमोचन

Bihar News: पटना स्थित दरबार हॉल में आयोजित एक गरिमामयी समारोह में पद्मश्री से सम्मानित प्रख्यात पुरातत्वविद के के मुहम्मद के सम्मान में प्रकाशित अभिनंदन ग्रंथ ‘Glimpses of Art and Archaeology of India and South Asia’ का भव्य विमोचन संपन्न हुआ।

 Padmashree KK Muhammad
पद्मश्री के के मुहम्मद के सम्मान में समर्पित ग्रंथ का पटना में भव्य विमोचन- फोटो : Hiresh Kumar

Bihar News:  पटना स्थित दरबार हॉल में आयोजित एक गरिमामयी समारोह में पद्मश्री से सम्मानित प्रख्यात पुरातत्वविद  के के मुहम्मद के सम्मान में प्रकाशित अभिनंदन ग्रंथ ‘Glimpses of Art and Archaeology of India and South Asia’ का भव्य विमोचन संपन्न हुआ। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल, कई इतिहासकार, पुरातत्वविद, तथा देशभर से आए विद्वान एवं विदुषियां उपस्थित रहे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एक विशिष्ट अतिथि आईपीएस विकास वैभव ने कहा कि के के मुहम्मद का कृतित्व संपूर्ण भारतवर्ष की सांस्कृतिक विरासत में एक प्रेरक अध्याय बन चुका है। उन्होंने स्मरण किया कि मुहम्मद से उनकी पहली प्रत्यक्ष भेंट विक्रमशिला में नवंबर 2019 में हुई थी, लेकिन उनका परिचय इस महान व्यक्तित्व से फरवरी 2015 में मुरैना (म.प्र.) के बटेश्वर मंदिर परिसर के अध्ययन के दौरान ही हो गया था।

संबोधन में आईपीएस विकास वैभव  ने बताया कि बटेश्वर मंदिर परिसर,जो कभी डकैतों का गढ़ था, मुहम्मद के प्रयासों से संरक्षित मंदिर परिसर में परिवर्तित हो गया। उन्होंने निर्भर सिंह गुज्जर जैसे कुख्यात डकैतों तक को अपने सत्यनिष्ठ व्यवहार और विरासतों के प्रति समर्पण से प्रभावित किया और संरक्षण के कार्य में उन्हें भी प्रेरित किया।

इसी प्रकार छत्तीसगढ़ के उग्रवाद-प्रभावित इलाकों में भी उन्होंने बिना भय के कार्य किया। उनके साहस और सत्य के प्रति निष्ठा को संबोधित करते हुए वक्ता ने अयोध्या विवाद के संदर्भ में भी उनका उल्लेख किया, जहां मुहम्मद ने वर्ष 1976 में प्रो. बी बी लाल के नेतृत्व में बाबरी मस्जिद क्षेत्र के उत्खनन में हिस्सा लिया था और प्राचीन मंदिर के अवशेषों की पुष्टि की थी, जबकि कई समकालीन इतिहासकारों ने तथ्यों से परे वक्तव्य देकर देश को भ्रमित किया।

आईपीएस विकास वैभव  ने अपने कार्यकाल के दौरान बगहा और रोहतास जैसे क्षेत्रों में किए गए विरासत संरक्षण के कार्यों की भी चर्चा की। बगहा, जिसे कभी "मिनी-चंबल" कहा जाता था और रोहतास, जहां नक्सली हिंसा चरम पर थी, वहां विरासतों की प्रेरणा के माध्यम से सकारात्मक सामाजिक बदलाव लाए गए। यह परिवर्तन इतना प्रभावशाली रहा कि उग्रवादी और अपराधी आत्मसमर्पण तक को विवश हो गए।

संबोधन में आईपीएस विकास वैभव  ने आगे बताया कि  मुहम्मद से प्रेरणा लेते हुए बिहार में चल रहे Let's Inspire Bihar अभियान में लाखों लोग जाति, धर्म और विचारधारा से ऊपर उठकर एक बेहतर भविष्य के निर्माण हेतु जुड़ रहे हैं। यह अभियान विरासतों की प्रेरणा का ही विस्तार है।

अंत में आईपीएस विकास वैभव  ने ग्रंथ के दोनों संपादकों गीता जी और  ओ. पी. पांडेय को बधाई दी और कहा कि एक ग्रंथ मुहम्मद जी के कृतित्व को समेटने के लिए पर्याप्त नहीं है। बिहार के केसरिया, राजगृह, वैशाली जैसे अनेक स्थलों पर उनके कार्यों की कहानियां अब ऐतिहासिक दस्तावेज बन चुकी हैं। उन्होंने आग्रह किया कि भविष्य में और भी कई वॉल्यूम प्रकाशित हों, जिनमें उनके संस्मरणों और प्रेरणादायक कार्यों को संरक्षित किया जाए।

यह समारोह न केवल  के के मुहम्मद जैसे विरले पुरातत्वविद के कार्यों को सम्मान देने का अवसर था, बल्कि यह भी दर्शाने का माध्यम बना कि सत्य, साहस और सांस्कृतिक विरासत के प्रति निष्ठा कैसे समाज और राष्ट्र को एक नई दिशा दे सकती है।

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