सहायक प्राध्यापक अभ्यर्थियों को बड़ी राहत: संयुक्त रजिस्ट्रार का अनुभव प्रमाण पत्र भी होगा मान्य, हाई कोर्ट ने आयोग को फटकारा

पटना हाईकोर्ट ने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को निर्देश दिया है कि आईआईटी कानपुर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के संयुक्त रजिस्ट्रार द्वारा जारी अनुभव प्रमाण पत्र को वैध माना जाए। कोर्ट ने तकनीकी आधार पर अंक काटने को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल

Patna -  पटना हाई कोर्ट के जस्टिस हरीश कुमार की एकल पीठ ने सहायक प्राध्यापक (भौतिकी) की नियुक्ति से जुड़े एक मामले में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (BSUSC) की कार्यप्रणाली पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने डॉ. कुमार ब्रजेश की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि किसी प्रमुख संस्थान के अधिकृत संयुक्त रजिस्ट्रार द्वारा जारी अनुभव प्रमाण पत्र को महज इसलिए अस्वीकार नहीं किया जा सकता कि उस पर रजिस्ट्रार के प्रतिहस्ताक्षर नहीं हैं।

अदालत ने सख्त लहजे में कहा कि यदि रजिस्ट्रार का कार्यभार किसी प्रभारी या संयुक्त रजिस्ट्रार को सौंपा गया है, तो उनके द्वारा जारी दस्तावेजों को अवैध ठहराना विधिसंगत नहीं है। कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत आईआईटी कानपुर के अनुभव प्रमाण पत्र पर पुनर्विचार करे और नियमानुसार अनुभव अंक प्रदान करते हुए उन्हें मेधा सूची (Merit List) में शामिल करे।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी थी कि डॉ. ब्रजेश के पास सात वर्ष का पोस्ट-डॉक्टोरल अनुभव है, इसके बावजूद आयोग ने उन्हें अनुभव अंक नहीं दिए, जो संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का सीधा उल्लंघन है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी संज्ञान में लिया कि पूर्व में फर्जी प्रमाण पत्रों के कारण कई नियुक्तियां रद्द हुई थीं, जिससे पद अब भी रिक्त पड़े हैं।

अदालत ने पूरी प्रक्रिया को आठ सप्ताह के भीतर पूरा करने का समय दिया है। आदेश में कहा गया है कि यदि अनुभव अंक जुड़ने के बाद याचिकाकर्ता कट-ऑफ अंक प्राप्त कर लेते हैं, तो आयोग उनके नाम की अनुशंसा नियुक्ति के लिए तुरंत करे।