बीमा कंपनी की 'होशियारी' पर हाई कोर्ट का हथौड़ा: 'हिट एंड रन' बताकर मुआवजे से नहीं झाड़ सकते पल्ला, अब 12% ब्याज के साथ चुकानी होगी रकम

पटना हाई कोर्ट ने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें 'हिट एंड रन' का हवाला देकर मुआवजा रोकने की कोशिश की गई थी। कोर्ट ने बीमा कंपनी के तर्कों पर हैरानी जाहिर की

Patna - पटना हाई कोर्ट ने सड़क दुर्घटना में मृत व्यक्ति के परिजनों को दिए गए मुआवजे के खिलाफ ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी की अपील को रद्द कर दिया है।जस्टिस जितेंद्र कुमार की एकलपीठ ने स्पष्ट किया कि जब वाहन की संलिप्तता और बीमा कवरेज साक्ष्यों से प्रमाणित हो जाए, तो बीमा कंपनी महज अनुमान के आधार पर जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। 

 ये मामला 31 जनवरी, 2014 का है। अशरफी राय टेंपो से बरह से घर लौट रहे थे, तभी दहौर गांव के पास एक पिकअप वैन ने लापरवाही से टक्कर मार दी। गंभीर रूप से घायल अशरफी राय की इलाज के दौरान मौत हो गई। घटना को लेकर बाढ़ थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई और जांच के बाद पिकअप चालक के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हुआ।

मृतक की पत्नी व अन्य आश्रितों की अर्जी पर मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण, पटना ने 22 सितंबर, 2017 को बीमा कंपनी को 7.32 लाख रुपये मुआवजा सात प्रतिशत ब्याज सहित देने का आदेश दिया था। बीमा कंपनी ने इसे ‘हिट एंड रन’ का मामला बताते हुए चुनौती दी।

हाई कोर्ट ने बीमा पॉलिसी, एफआईआर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और प्रत्यक्षदर्शी के बयान के आधार पर दलीलें खारिज कर दीं। कोर्ट ने दो माह में भुगतान का निर्देश देते हुए कहा कि देरी होने पर 12 प्रतिशत दंडात्मक ब्याज देना होगा।