PMCH : पटना के पीएमसीएच के नाम है सबसे बड़ी उपलब्धि, एशिया में सबसे पहले यहीं स्थापित हुआ था कैंसर संस्थान, रेडियोथेरेपी विभाग का दिलचस्प इतिहास
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को पीएमसीएच के स्वर्णिम इतिहास का बयान किया. इसमें एशिया में सबसे पहले यहीं स्थापित हुए कैंसर संस्थान का काफी रोचक इतिहास रहा है.
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PMCH : पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को पीएमसीएच के स्वर्णिम इतिहास का बयान किया. पीएमसीएच के सौ वर्षों के इतिहास में कई ऐसी उपलब्धियां रहीं जो इसे भारत ही नहीं एशिया में सबसे अलग पहचान और गरिमा देता है. इसी में पीएमसीएच का कैंसर संस्थान है.
पीएमसीएच का रेडियोथेरेपी विभाग देश ही नहीं एशिया में सबसे पहले स्थापित होने वाले कैंसर संस्थानों में से एक है. 1928 में तत्कालीन वायसराय सर लार्ड इरविन के पटना दौरे के समय इसकी विधिवत स्थापना हुई थी. उस समारोह में रेडियम इंस्टीट्यूट के भवन के लिए दरभंगा के महाराजा कुमार विश्वेश्वर सिंह ने 50 हजार और महाराजाधिराज बहादुर सर रामेश्वर सिंह ने एक लाख रुपये का दान दिया था. नये भवन में 1931 से यह विभाग चल रहा है. यहां फ़िल्म स्टार देवानंद सहित कई हस्तियां अपने परिजनों का इलाज करा चुके हैं।
वैसे राज्य में कैंसर मरीजों की सेंकाई को शुरू करने का श्रेय कर्नल वावघन को जाता है. वे ही 1913 में 10 ग्राम रेडियम रेडियोथेरेपी के लिए रांची में लाये थे. वहां रेडियम रोड में इस इंस्टीट्यूट की स्थापना हुई थी लेकिन, कैंसर मरीजों की सहूलियत के लिए 1928 में इसे पटना में शिफ्ट कर दिया गया. पटना मेडिकल कॉलेज व अस्पताल को रेडियम इंस्टीट्यूट के नाम से भी जाना जाता था. देश और दुनिया में इस संस्थान की प्रतिष्ठा को समझना हो तो किसी कैंसर इंस्टीट्यूट में चले जाइए वहां पीएमसीएच के रेडियम इंस्टीट्यूट या रेडियोथेरेपी विभाग का नाम ही काफी होगा.
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल
PMCH अब 5,462 बेड वाला अस्पताल बनने जा रहा है. इसमें हेलीपैड की भी सुविधा होगी, जिससे एयर एम्बुलेंस सीधे अस्पताल पहुंच सकेगी. पीएमसीएच दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल होने जा रहा है. 5,540 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस विश्वस्तरीय अस्पताल में मरीजों के लिए 5,462 बेड की सुविधा होगी.