वीटीआर के बाद इस जिले में बनेगा दूसरा टाइगर रिजर्व, केंद्र सरकार को भेजा गया प्रस्ताव, 1500 वर्ग किमी में होगा विस्तार

बिहार को जल्द ही अपना दूसरा टाइगर रिजर्व मिलने जा रहा है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने कैमूर वन्यप्राणी आश्रयणी को टाइगर रिजर्व घोषित करने का संशोधित प्रस्ताव तैयार कर लिया है।

Patna - बिहार में वन्यजीव प्रेमियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) के बाद अब कैमूर जिला राज्य के दूसरे टाइगर रिजर्व का घर बनने जा रहा है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने इसके लिए संशोधित प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है। विभागीय मंत्री डॉ. प्रमोद कुमार की मंजूरी मिलने के बाद अब इस प्रस्ताव को राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) भेजा जा रहा है।

कोर और बफर जोन का निर्धारण

प्रस्ताव के अनुसार, कैमूर टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल काफी विस्तृत होगा:

कोर जोन: 450 वर्ग किमी क्षेत्र को 'कोर जोन' बनाया गया है, जहाँ इंसानी दखल पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।

बफर जोन: 1050 वर्ग किमी का क्षेत्र 'बफर जोन' होगा। इसमें ऐतिहासिक शेरगढ़ किला, स्थानीय गाँव, मंदिर और अन्य पर्यटन स्थल शामिल होंगे।

क्यों चुना गया कैमूर का जंगल?

कैमूर के जंगलों में बाघों की मौजूदगी के प्रमाण काफी समय से मिल रहे हैं। वर्ष 2018 से 2020 के बीच यहाँ बाघों की आवाजाही की पुष्टि हुई थी। तत्कालीन डीएफओ सत्यजीत प्रसाद ने बाघों के पदचिह्न (पग मार्क), मल और शिकार के तरीकों के आधार पर प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की थी। साल 2022 में केंद्रीय टीम ने ड्रोन सर्वे के जरिए इलाके का निरीक्षण किया था, जिसके बाद अब संशोधित नक्शे के साथ नया प्रस्ताव भेजा जा रहा है।

इसी वर्ष छोड़े जा सकते हैं बाघ

यदि केंद्र सरकार से इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल जाती है, तो इसी वर्ष से कैमूर के जंगलों में बाघ छोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इससे न केवल पर्यावरण संतुलन बेहतर होगा, बल्कि कैमूर जिला अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर भी मजबूती से उभरेगा।