Bihar Congress: बिहार कांग्रेस में बग़ावत का तूफान, असंतुष्ट खेमा पहुँच गया दिल्ली, राहुल गांधी से करेंगे शिकायत
Bihar Congress: बिहार कांग्रेस इन दिनों हल्के झोंकों में नहीं, बल्कि बगावत की तेज आंधी में घिरी है। प्रदेश संगठन की उठापटक अब पटना से निकलकर सीधे दिल्ली के सियासी गलियारों तक पहुँच चुकी है। ...
Bihar Congress: बिहार कांग्रेस इन दिनों हल्के झोंकों में नहीं, बल्कि बगावत की तेज आंधी में घिरी है। प्रदेश संगठन की उठापटक अब पटना से निकलकर सीधे दिल्ली के सियासी गलियारों तक पहुँच चुकी है। आधा दर्जन से अधिक नाराज नेता, जिनमें एआईसीसी सदस्य आनंद माधव और पूर्व विधायक छत्रपति यादव शामिल हैं, सोमवार को ही राजधानी दिल्ली कूच कर चुके हैं। आज वे राहुल गांधी से मुलाक़ात की तैयारी में हैं और उन्होंने समय भी माँगा है।
इन नेताओं की नाराज़गी किसी छोटी-मोटी अनबन की नहीं, बल्कि संगठन की जड़ों को हिला देने वाले आरोपों की है। असंतुष्ट गुट का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को तुरंत हटाया जाए। दोनों पर गंभीर आरोप लगे हैं टिकट बेचने से लेकर संगठन को अंदर से कमजोर करने तक। यह आरोप सियासी भाषा में कोई आम तंज़ नहीं, बल्कि पार्टी की छवि पर सीधी चोट माने जा रहे हैं।
उधर, पार्टी ने भी अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए सोमवार को कड़ा कदम उठा दिया। पार्टी-विरोधी गतिविधियों के आरोप में सात नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है। निष्कासित नेताओं में कांग्रेस सेवा दल के पूर्व उपाध्यक्ष आदित्य पासवान, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष शकीलुर रहमान, किसान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार शर्मा, युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार राजन, अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के पूर्व अध्यक्ष कुंदन गुप्ता, बांका जिला अध्यक्ष कंचना कुमारी, और नालंदा के रवि गोल्डन शामिल हैं।इस कार्रवाई को असंतुष्ट गुट दरार की मरम्मत नहीं, बल्कि आग में घी' के तौर पर देख रहा है। यानी भीतरखाने का घमासान अब खुली जंग में बदलने की पूरी आशंका है।
ऐसे समय में, जब पार्टी अपने भीतर के घावों से जूझ रही है, कांग्रेस संविधान दिवस पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर रही है। सभी जिला मुख्यालयों में “संविधान संरक्षण और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा” विषय पर विचार गोष्ठी होगी, जिसमें वरिष्ठ नेता, बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, वकील और युवा शामिल होंगे। प्रदेश नेतृत्व ने हर जिला को निर्देश दिया है कि आयोजन अनुशासन, गंभीरता, और उच्च भागीदारी के साथ हो और इसकी एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय भेजी जाए।
एक ओर दिल्ली में शिकायतों का दौर चलेगा, दूसरी ओर बिहार में संविधान बचाने का आह्वान और इन दोनों के बीच फंसी है बिहार कांग्रेस की गिरती साख, बढ़ती कलह और अनिश्चित भविष्य की कहानी।