Patna university election:पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव की तिथि का हो चुका है ऐलान, कभी इस चुनाव से लालू और नीतीश ने थी अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत
Patna university election:लालू यादव और नीतीश कुमार जैसे धुरंधर राजनीतिज्ञों को राजनीति का ककहरा सिखाने वाले पटना विश्वविद्यालय में छात्र संघ का चुनाव आगामी 27 मार्च को होगा। इसके लिए 10 मार्च से नॉमिनेशन फॉर्म की बिक्री शुरु होगी।...पढ़िए आगे

Patna university election:पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ का चुनाव आगामी 27 मार्च को होने जा रहा है।विश्वविद्यालय परिसर में राजनीतिक हलचल है।वैसे भी पटना विश्वविद्यालय और राजनीति एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। ऐसे में आईए पढ़ते हैं पटना विश्वविद्यालय और छात्र राजनीति पर यह आलेख...
आक्सफोर्ड ऑफ ईस्ट के नाम से मशहूर
कभी आक्सफोर्ड ऑफ ईस्ट के नाम से मशहूर पटना विश्वविद्यालय आज भले ही अपनी गरिमामयी गौरव-गाथा को फिर से जीवंत करने के लिए संघर्षरत है लेकिन अगर बात राजनीति की करें तो पटना विश्वविद्यालय के कई छात्र आज देश और प्रदेश के कई हिस्से में अपनी राजनीतिक कुशलता के दम पर अपना परचम लहरा रहे हैं।इसका सहज अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बिहार में अब तक हुए 23 मुख्यमंत्री में से 16 मुख्यमंत्री पटना विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं।
लालू यादव रहे छात्र राजनीति में सफल
बात अगर पटना विश्वविद्यालय के छात्र राजनीति की करें तो सबसे सफल नाम जो कभी पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे और आगे चलकर बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी सेवाएं दी, वो है लालू प्रसाद यादव।लालू प्रसाद यादव ने राजनीति का ककहरा पटना विश्वविद्यालय से ही सिखा था। वे अपने छात्र जीवन में पटना विश्वविद्यालय के छात्र राजनीति में सक्रिय थे। जब लालू प्रसाद यादव पहली बार छात्र संघ का चुनाव लड़ा तो उन्हें अपने प्रतिद्वन्दी और उनके ही साथी रहे रामजतन सिंहा से चुनाव हार गए थे।
सन 1997 में रामजतन सिंहा नहीं लड़े थे चुनाव
बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और तीन बार के विधायक रामजतन सिंहा ने बातचीत के क्रम मे बताया कि सन् 1971 में उन्होंने लालू यादव के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा और पीयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। दूसरी बार वर्ष 1973 में छात्र संघ के चुनाव में एएससी पास करने की वजह से वो चुनाव नहीं लड़ पाए। इस छात्र संघ के चुनाव में लालू यादव ने नरेंद्र सिंह को हराकर पीयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे। इसी चुनाव में सुशील मोदी विद्यार्थी परिषद की ओर से चुनाव जीतकर छात्र संघ के महासचिव बने थे।
इमरजेंसी के दौरान नहीं हुआ चुनाव
रामजतन सिंहा ने बताया कि लालू यादव पूरे विश्वविद्यालय में अपने अनोखे अंदाज और भाषण के लिए मशहूर थे। इमरजेंसी के बाद जब जेपी आंदोलन की शुरुआत हुई तो कई छात्र इस आंदोलन से जुड़े। जेपी ने जो चुनाव कमेटी बनाई थी उसमें छात्र संघ से सिर्फ लालू यादव को विधान सभा का टिकट मिला था और लालू ने चुनाव भी जीता था। लालू यादव उस समय जेपी के काफी करीबी माने जाते थे।
ये है पटना विश्वविद्यालय का चुनावी इतिहास
बात अगर पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ के चुनावी इतिहास की करें तो पटना विश्वविद्यालय में सबसे पहले वर्ष 1969 में छात्र संघ का प्रत्यक्ष चुनाव हुआ और डॉ राजेन्द्र प्रसाद अध्यक्ष चुने गए और लालू यादव महासचिव चुने गए। वर्ष 1971 में रामजतन सिंहा अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 1973 में लालू यादव अध्यक्ष चुने गए और सुशील मोदी महासचिव चुने गए। वर्ष 1977 में अश्विनी चौबे छात्र संघ के अधयक्ष चुने गए। वर्ष 1980 में अनिल शर्मा को अध्यक्ष चुना गया। वर्ष 1984 में शंभू शर्मा अध्यक्ष चुने गए और रणवीर नंदन को महासचिव चुना गया।
हिंसा के बाद रोका गया था चुनाव
वर्ष 1984 में हिंसा के बाद छात्र संघ का चुनाव रोक दिया गया। 28 साल बाद वर्ष 2012 में हुए में आशीष सिंहा को छात्र संघ का अध्यक्ष चुना गया। वर्ष 2018 मे छात्र जेडीयू के मोहित प्रकाश को अध्यक्ष चुना गया और विद्यार्थी परिषद की अंजना सिंह को उपाध्यक्ष चुना गया। 2019 में पप्पू यादव समर्थित उम्मीदवार मनीष यादव को छात्र संघ का अध्यक्ष चुना गया और राजद से निशांत कुमार उपाध्य़क्ष चुना गया। वर्ष 2022 में जेडीयू का दबदबा रहा। छात्र जदयू के खाते में केंद्रीय पैनल के पांच में से चार सीटों क्रमशः अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सचिव और उपाध्यक्ष के पद पर कब्जा रहा और आनंद मोहन को अध्यक्ष और विक्रमादित्य सिंह को उपाध्यक्ष चुना गया।
अभिषेक-सुमन की रिपोर्ट